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September 14, 2025 6:42 am

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 57 !!-बैठी रहूँ यमुना में आस लगाए…..भाग 2 :Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 57 !!-बैठी रहूँ यमुना में आस लगाए…..भाग 2 :Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 57 !!

बैठी रहूँ यमुना में आस लगाए…..
भाग 2

नही …………..मैं मर नही सकती ………..वैसे मैं मर जाऊँ तो अच्छा होता ………पर मैं मर नही सकतीं ……………

क्यों कि ……मेरी ये सखियाँ कहती हैं ………मैं अगर मर गयी तो कन्हाई को अच्छा नही लगेगा…….वो दुःखी हो जाएगा…..उसे लगेगा मेरे कारण मेरी राधा मर गयी ……..वो जीवन भर अपनें को अपराधी समझता रहेगा …….नही …..मैं मर भी नही सकती ।

क्या दशा बना दी मेरी तुमनें श्याम !

श्याम ! आओ ना ! रोते हुये फिर पुकार निकली श्रीराधा के ।

फिर प्रतिध्वनि …….!

तू फिर बोल रही है …….मेरी नकल कर रही है………मत कर ऐसा तू भी कभी दुःखी होगी …….ना ना ! भगवान ऐसा दुःख किसी को न दे ।

इतना कहकर फिर मौन हो गयीं कुछ देर के लिए ………

तुम कौन हो ? मैं जैसे पुकारती हूँ …….जैसे रोती हूँ तुम भी वैसे ही रोती हो …कौन हो तुम ? श्रीराधा रानी कुछ देर में बोलीं थीं ।

अच्छा अच्छा ! तुम वृन्दा सखी हो ? तुम इस वृन्दावन की देवी हो ……..अधिदैवी । पर तुम क्यों दुःखी हो ?

हाँ दुःखी क्यों नही होगी तुम ? तुम्हारा ये वन अब कितना उजाड़ सा लगता है ……..है ना ? और कहीं तुम्हे भी उस नटखट से प्यार तो नही हो गया ? क्यों नही हो सकता …बिलकुल हो सकता है …..क्यों की अरी ! वृन्दा सखी ………दुनिया में प्यार करनें जैसे अगर कोई हैं तो वे ही तो हैं ……..इसलिये तुम्हे भी उनसे प्यार हो गया , ये सुनकर मुझे कोई आश्चर्य नही है …….आओ ! मेरे पास बैठो ……मुझ से अपना दुःख कह सकती हो …….क्यों की तुम और हम अब एक ही व्याधि से ग्रस्त हो गए हैं ।

.श्रीराधा रानी का बोलते बोलते कण्ठ सूख गया है…….पर उन्हें भान कहाँ है…….वो तो बस बोलती जा रही हैं……कृष्ण के बारे में …..कृष्ण ….कृष्ण …कृष्ण…..अब इसके अलावा रह क्या गया है यहाँ ।


नन्दगाँव चलें ? नन्दभवन को निहार आवें …………….

श्रीराधारानी नें अपनी सखियों से कहा ।

सखियों नें सीधे “हाँ” नही कहा ………क्यों की क्या पता वहाँ जाकर फिर कुछ उन्माद प्रकट हो जाए श्रीराधा रानी को ।

पर प्रेम जिद्द का दूसरा नाम है………उफ़ ! प्रियतम की गली ।

जिद्द की कीर्ति की लाली नें….फिर तो सबको बात माननी ही पड़ी ।

नन्द गांव ………

एक गोपी ….नन्दगाँव की…..यमुना से घर में आयी…….पर तुरन्त ही रोती हुयी बाहर आगई….और बैठकर हिलकियों से रोनें लगी थी ।

क्रमशः …
शेष चरित्र कल ….

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Author: admin

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