: जय श्री कृष्ण जी।
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शुभ प्रभातं
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कान्हा को चुनना आप की आकांक्षा है,
कान्हा का होना मोक्ष
कान्हा को पाना सौभाग्य
कान्हा का अनुसरण कर प्रेम हो जाना ,
आप के जीव का सजीव होना दृश्यता है
राधा होना
मीरा होना तो सुना होगा,
पर कभी आप ने द्रोपदी का सखा होना सुना है
मेरे कृष्ण की सखी द्रौपदी
द्रोपदी के सखा मेरे कृष्ण
सूरदास के कृष्ण
मीरा के कृष्ण
शंकराचार्य के कृष्ण
हर माँ के मुख से निकाला शब्द अपने लल्ला को
“कान्हा” बुलाना, “कृष्ण “
कृष्ण को आप चुन नहीं सकते
कृष्ण को जी सकते हैं
महसूस कर सकते हैं
जय श्री राधे राधे जी।
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: जय श्री राधे राधे जी।
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बृज ” हां! बृज जाऊं पर और कोई धाम नहीं जाऊं 🙏
क्यूं?????
बृज जाऊं पर और कोई धाम नहीं जाऊं 🙏
क्यूं? बार बार कहते हो!
बृज जाऊं पर और कोई धाम नहीं जाऊं 🙏
जहां मुझे वैष्णव मिलें तो मैं वैष्णव हो जाऊं 🙏
वहां मुझे प्रेम मिलें तो मैं प्रेमी हो जाऊं 🙏
वहां मुझे विश्वास मिलें तो मैं विश्वसनीय हो जाऊं 🙏
वहां मुझे शुद्धि मिलें तो मैं शुद्ध हो जाऊं 🙏
वहां मुझे दासत्व मिलें तो मैं दास हो जाऊं 🙏
वहां मुझे सत्य मिलें तो मैं सत्यार्थी हो जाऊं 🙏
वहां मुझे निरपेक्षता मिलें तो मैं निरपेक्ष हो जाऊं 🙏
वहां मुझे धर्म मिलें तो मैं धर्मिष्ठ हो जाऊं 🙏
वहां मुझे त्याग मिलें तो मैं त्यागी हो जाऊं 🙏
वहां मुझे यज्ञ मिलें तो मैं याज्ञिक हो जाऊं 🙏
वहां मुझे निखालसता मिलें तो मैं निखालस हो जाऊं 🙏
वहां मुझे अद्वैत मिलें तो मैं अद्वैती हो जाऊं 🙏
वहां मुझे नि:स्वार्थ मिलें तो मैं नि:स्वार्थी हो जाऊं 🙏
वहां मुझे नि:संशय मिलें तो मैं नि:संशयी हो जाऊं 🙏
वहां मुझे निष्कपट मिलें तो मैं निष्कपटी हो जाऊं 🙏
वहां मुझे आनंद मिलें तो मैं सर्वानंदी हो जाऊं 🙏
वहां मुझे सेवा मिलें तो मैं सेवक हो जाऊं 🙏
ओहहह! कितनी निस्पृहयता 🙏
हे प्रभु! मुझे तेरे बृज को पाना हैं🙏
मुझे बृजवासी होना हैं 🙏
मुझे प्रेमी होना है।🙏
जय श्री कृष्ण जी”
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Author: admin
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