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September 14, 2025 12:10 am

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 59 !!-सखी ! बैरिन निंदिया भी गयी….भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 59 !!-सखी ! बैरिन निंदिया भी गयी….भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 59 !!

सखी ! बैरिन निंदिया भी गयी….
भाग 3

वो आया ………..बड़े प्रेम से उसनें मेरे पैर का काँटा निकाल दिया ….फिर मेरे साथ ही चलनें लगा बतियाते हुए ।

तुम तो मथुरा गए थे ना ? मैने पूछा ।

हाँ गया तो था……..मुस्कुराते हुए बोला वह ।

फिर कैसे आगये यहाँ ?

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उससे बातें करना ।

सखी ! तू नही है ना मथुरा में इसलिये आगया !

रो गयी सखी ये कहते हुये ……….कन्हाई नें मुझ से कहा ।

हट्ट ! झूठे ! मैने भी उसे कह दिया ।

तो कहनें लगा …….हाँ सच में ……..तू नही है ना ! मथुरा में ……..इसलिये मन नही लगता वहाँ ………….

मैं हँसी …………मैं झूठ क्यों कहूँ – मुझे अच्छा लगा …….मुझे बहुत अच्छा लगा ……….कहते हुए वो सखी फिर रो पड़ी ………..।

सखी ! नींद खुल गयी ……………..सोचनें लगी क्यों नींद खुली मेरी ………अभी और सोती तो शायद वो और मेरे पास ही रहते …..

पर ………………..


नही अब हम श्रीराधा से सपना सुनेंगें !

चन्द्रावली आयी आगे ……..नही हे राधा ! आज मना मत करना ……सुना दो ना अपना सपना !

सपना ! कैसा सपना ! और मैं .!…..हँसी श्रीराधा रानी ।

अब ज्यादा नाटक तो करो मत ……….हमको सुननी है और वो भी आज ही ……..हे राधा ! सब सुनना चाहती हैं ………..

तुमको सपनें तो आते होंगें ना ! फिर सुनाओ ना !

चन्द्रावली श्रीराधा रानी से उम्र में बड़ी हैं …..इसलिये श्रीराधा से जिद्द भी यही कर सकती हैं ……इनका सम्मान श्रीराधा भी करती हैं ।

मौन हो गए सब …….सबकी दृष्टि टिक गयी है श्रीराधा की ओर ।

गहबर वन भी मौन हो गया…..उसे भी सुनना है…..अपनी स्वामिनी का सपना…….पक्षी सब शान्त हो गए…..सखियाँ सुननें को उत्सुक हैं …..कि श्रीराधा रानी को कैसा सपना आता होगा ।

सखियों ! तुम भाग्यशाली हो कि…… कमसे कम सपनें में तो तुम “प्यारे” से मिल लेती हो……बतियालेती हो…….पर मैं ?

अब रो गयीं श्रीराधा रानी ………मुझ से पूछती हो कि मैं सपना सुनाऊँ ………अरे ! जब से श्याम सुन्दर मुझे छोड़कर चले गए …..तब से मेरी बैरन निंदिया भी चली गयी है ………मुझे नींद ही नही आती ……

अरी सखियों ! नींद आएगी तब न सपना देखूंगी ………और सपना देखूंगी तब तो तुम्हे सुनाऊँगी ना ! हाय ! मैं ऐसी अभागन हूँ ….जो सपनें में भी अपनें “प्राण धन” को देख नही पाती …….मुझ राधा से भाग्यशालीनी तो तुम लोग हो ……।

इतना कहकर श्रीराधा रानी हा कृष्ण ! हा प्राण ! हा गोविन्द ! यही कहते हुये मूर्छित होकर गिर गयीं थीं ।

शेष चरित्र कल …..

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Author: admin

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