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August 2, 2025 9:00 pm

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 75 !!-श्रीराधा और उद्धव का सम्वाद भाग 3:Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 75 !!-श्रीराधा और उद्धव का सम्वाद भाग 3:Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 75 !!

श्रीराधा और उद्धव का सम्वाद
भाग 3

हमें मतलब नही है…….पर हम तो इतना ही पूछना चाहती हैं कि –

मथुरा की नारियों का नृत्य देखकर उन्हें क्या हमारी याद नही आती ?

हँसते नही है हमारे श्याम सुन्दर ……ये कहते हुए – कि तुम लोग कितना सुन्दर नाचती हो ………..और एक वो थीं …..जिन्हें न मटकना आता था ……न नयन की भंगिमा …………गँवार गोपीयाँ !

उद्धव ! ऐसा कहते होंगें ना हमारे प्रिय कन्हाई ।

हमें बुरा नही लगेगा ………कोई बात नही ………उद्धव ! चाहे अच्छाई से याद करें चाहे बुराई से ……याद किया हमें , हमें इतना ही काफी है ।

क्या उद्धव ! मथुरा में जाकर वो हमें क्यों भूल गए ?

श्रीराधा रानी नें इतना अवश्य पूछा था ।

मन को पक्का किया …………फिर उद्धव जी बतानें लगे –

“आप लोग आँखें बन्द करो”

…..उद्धव को लगा योग के माध्यम से ही इनका विरह शान्त तो करूँ !

खुली आँखों से ही उसके दर्शन होते हैं …..अब बन्दकर लेने पर तो उसकी याद और आएगी……पूरा वृन्दावन डूब जाएगा अश्रु धार में ।

श्रीराधा रानी नें उत्तर दिया था ।

हृदय को शान्त करो – उद्धव नें फिर कहा ।

आग लगी है हृदय में….शान्त नही होगा । श्रीराधा सुबुक रही थीं ।

प्रणायाम करो ……साँस के सिथिल होंने पर शान्ति का अनुभव होगा …….उद्धव नें योग सिखाना शुरू किया ।

हम नित्य प्रणायाम ही करती रहती हैं…….हे उद्धव ! तुम तो सुबह शाम ही प्रणायाम करते होगे …….हम तो चौबीसों घण्टे ही प्रणायाम में लीन रहती हैं…..हमारी साँसों को देखो उद्धव ! जब विरह बढ़ता है तब साँस की गति तेज़ हो जाती है……और जब प्रेम स्मृति जागती है …….तब साँस की गति धीमी बहुत धीमी हो जाती है ।

तो आसन सिद्ध करो !

…..उद्धव का योग सन्देश अभी खतम कहाँ हुआ था ।

आसन सिद्ध करो ……उद्धव बोले ।

हँसी  श्रीराधारानी    उद्धव की बातें सुनकर  ।

बैठो ! आओ उद्धव ! चलो साथ मैं बैठो हमारे ……….किसका आसन सिद्ध है बता देती हैं हम ।

हम अविचल बैठी रहेंगीं …..गोपियों नें कहा

कितनी घड़ी तक ? उद्धव नें पूछा ।

तुम बताओ उद्धव ! हम तो उसकी प्रतीक्षा में जीवन भर एक आसन से बैठ सकती हैं………बताओ तुम !

उद्धव को आश्चर्य हुआ……….महीनों तक ! एक आसन से ?

गोपियों ! तुम नही समझोगी – ये ज्ञान की बातें हैं ……….

जाओ उद्धव ! तुम भी नही समझोगे – ये प्रेम की बातें हैं ।

हे वज्रनाभ ! उद्धव ज्ञान सिखानें आये थे …..इन लोगों के विरह ताप को कुछ तो कम कर सकूँ , ऐसा सोचकर आये थे …….पर उद्धव से कुछ नही हो रहा …वो कैसे ज्ञान दें इन गोपियों को ? कैसे समझायें ?

उद्धव माथा पकड़ कर बैठ गए थे ……………..

शेष चरित्र कल –

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Author: admin

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