Explore

Search

July 20, 2025 7:04 pm

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

श्रीकृष्णचरितामृतम्~!! “पनघट पे”-एक प्रेम प्रसंग !!भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्~!! “पनघट पे”-एक प्रेम प्रसंग !!भाग 2 : Niru Ashra

भाग 2

इधर उधर देखा कन्हाई नें …………कोई नही है ……..सखा भी आज नही आये ………क्यों की बारिश ही बड़ी घनघोर हो रही थी ……..और उन्हें पता भी नही था कि कन्हाई आजायेगा ……..ये पता होता तो वो लोग घर में बैठते ?

कन्हाई नें एकान्त देखा ……….आज पनघट में कोई नही आया है ।

तुरन्त अपनी फेंट से बाँसुरी निकाली……….अधरों पर रखी …….थोडा झुके और जैसे ही उसमें फूँक मारी…….उफ़ ! पाषाण को भी पिघला दे ऐसा स्वर …………मोरों का झुण्ड तभी वहाँ आगया …………उनको देखकर कन्हाई और आनन्दित हो उठे ।

मोर नाचनें लगे ………….उनके संग, संग संग कन्हाई भी नाच रहे हैं ……..थोडा झुकते हैं ………..फिर अपनी ग्रीवा को मटकाते हैं ……..चरणों का हल्का प्रहार करते हैं फिर घूमते हैं ……..

मोर यही सब देखकर मुग्ध हैं…….वो सब रूक गए हैं ………कन्हाई को बड़े ध्यान से देखते हैं ……….फिर कन्हैया उनको कहते हैं ….ऐसे नाचों ………अजी ! बडी अद्भुत प्रेम सरिता बह चली थी ……….मोर नाचनें लगे थे ……एक दो नही …….सहस्रों मोर थे …….वे सब पंख फैलाकर नाच रहे थे ………कन्हाई , अब फिर बाँसुरी बजा रहे हैं ।

दूर से देख रही हैं ……बृषभान दुलारी ।

कदम्ब की ओट से …………अपलक देखकर देह सुध भूल जाती हैं ।

करतल ध्वनि करनें लगती हैं…….कदम्ब की ओट को छोड़कर बाहर आजाती हैं …….अद्भुत ! वाह !

वो छोटी सी किशोरी ………….कैसे वाह वाह किये जा रही हैं ।

कन्हाई नें जैसे ही देखा बृषभान दुलारी को…….उनकी तो “मन की भई” हो गयी थी ।

*क्रमशः ….

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! “पनघट पे” – एक प्रेम प्रसंग !!

भाग 2

इधर उधर देखा कन्हाई नें …………कोई नही है ……..सखा भी आज नही आये ………क्यों की बारिश ही बड़ी घनघोर हो रही थी ……..और उन्हें पता भी नही था कि कन्हाई आजायेगा ……..ये पता होता तो वो लोग घर में बैठते ?

कन्हाई नें एकान्त देखा ……….आज पनघट में कोई नही आया है ।

तुरन्त अपनी फेंट से बाँसुरी निकाली……….अधरों पर रखी …….थोडा झुके और जैसे ही उसमें फूँक मारी…….उफ़ ! पाषाण को भी पिघला दे ऐसा स्वर …………मोरों का झुण्ड तभी वहाँ आगया …………उनको देखकर कन्हाई और आनन्दित हो उठे ।

मोर नाचनें लगे ………….उनके संग, संग संग कन्हाई भी नाच रहे हैं ……..थोडा झुकते हैं ………..फिर अपनी ग्रीवा को मटकाते हैं ……..चरणों का हल्का प्रहार करते हैं फिर घूमते हैं ……..

मोर यही सब देखकर मुग्ध हैं…….वो सब रूक गए हैं ………कन्हाई को बड़े ध्यान से देखते हैं ……….फिर कन्हैया उनको कहते हैं ….ऐसे नाचों ………अजी ! बडी अद्भुत प्रेम सरिता बह चली थी ……….मोर नाचनें लगे थे ……एक दो नही …….सहस्रों मोर थे …….वे सब पंख फैलाकर नाच रहे थे ………कन्हाई , अब फिर बाँसुरी बजा रहे हैं ।

दूर से देख रही हैं ……बृषभान दुलारी ।

कदम्ब की ओट से …………अपलक देखकर देह सुध भूल जाती हैं ।

करतल ध्वनि करनें लगती हैं…….कदम्ब की ओट को छोड़कर बाहर आजाती हैं …….अद्भुत ! वाह !

वो छोटी सी किशोरी ………….कैसे वाह वाह किये जा रही हैं ।

कन्हाई नें जैसे ही देखा बृषभान दुलारी को…….उनकी तो “मन की भई” हो गयी थी ।

*क्रमशः ….

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements