!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 80 !!
वो छलिया नन्द को ….
भाग 3
श्रीराधारानी फिर आगे कहती हैं – बाली ……वो किष्किन्धा का राजा बाली …..उसे मार दिया…….कुछ नही बिगाड़ा था इसका उस बाली नें ………..फिर भी मार दिया ………हँसी श्रीराधा रानी ……..इसे मजा आता है ……किसी को भी अकारण मारनें में …….हट्ट !
उद्धव स्तब्ध हैं ये सब सुनकर ……….मैं इनको गाँव की गंवारन समझता था ………पर ये तो सब जानती हैं ……इन्हें तो ये भी पता है कि …कृष्ण ही वामन हैं ……..और कृष्ण ही राम भी बने थे !
उद्धव देखते हैं श्रीराधा रानी को …….वो और उन्मादिनी हो उठी थीं –
“और उस बेचारी स्त्री को…….सूर्पनखा को…….क्या किया इसनें !
सखियों ! कुरूप बना दिया…….नाक कान काट दिए उसके ।
क्या अपराध किया था उस बेचारी नें ? बोल भ्रमर !
क्या प्यार का इज़हार करना पाप है ? ……अपराध है ?
बेचारी सुन्दरता देखकर .गयी थी इसके पास ………..पर ये तो शुरू से ही स्त्री विरोधी रहा है ना……..अरे ! नही करना था विवाह …तो नही करता ……….उसे कह देता जाओ ! मुझे नही करनी तुमसे शादी …..पर नही …..स्वयं नें तो उस से विवाह किया ही नही ………..उस बेचारी के नाक कान काट कर …..किसी और से भी विवाह नही करनें दूँगा ये सन्देश और दे दिया ……..बताओ ! इससे बड़ा क्रूर और कोई होगा ?
श्रीराधिका बोले जा रही हैं ………इसलिये भँवरे ! तू जा ! उस काले की चर्चा यहाँ पर मत कर ……….
आपके बाल भी तो काले हैं ……मानों भ्रमर बोल रहा है ………
हाँ तो इन केशों को भी कटवा दूंगी……..श्रीराधा बोलीं ।
आपके आँखों की पुतरी भी तो काली है…….भ्रमर ही बोला ।
आँखों को भी निकलवा दूंगी ………..पर मधुप ! उस काले से अब कोई सम्बन्ध नही रखना ………न उसकी चर्चा सुननी है ……..न उसकी बातें करनी हैं ….न उसका नाम लेना है……..इतना कहकर श्रीराधा रानी बैठ गयीं और मौन हो गयीं ।
उद्धव देख रहे हैं – कुछ देर तक शान्ति बनी रही ………..पर –
क्या स्वामिनी ! कृष्ण की चर्चा किये बगैर तुम रह सकोगी ?
ललिता सखी नें ये प्रश्न किया था ।
फिर अश्रु धार बह चले श्रीराधिका के – यही तो हमारा दुर्भाग्य है ….कि उस काले की चर्चा, कथा नें ही हमारे जीवन को बर्बाद किया है …..हम सब जानती हैं ……..फिर भी उसकी चर्चा किये बगैर हम रह नही सकतीं ……उसकी कथा सुनें बगैर हम जी नही सकतीं ।
हे वज्रनाभ ! ये प्रेम की उच्चतम स्थिति हैं………ये प्रेम राज्य है ….यहाँ के नियम कानून ही अलग हैं…..महर्षि शाण्डिल्य बोले थे –
इस प्रेम राज्य में रोना, हँसना है ….और हँसना, रोना है ……..
गाली देना , प्रशंसा करना है….और प्रशंसा करना, गाली देना है …..
हे वज्रनाभ ! ना ना , का अर्थ है इस प्रेम राज्य में ……हाँ हाँ …और हाँ हाँ ….का अर्थ है ……..निषेध यानि ना ना है !
ये प्रेम राज्य के अटपटे कानून हैं…….जरा सम्भल कर चलना ।
शेष चरित्र कल –


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