Explore

Search

December 3, 2024 6:00 pm

लेटेस्ट न्यूज़

दादरा नगर हवेली एवं दमन-दीव क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्री दुष्यन्त भाई पटेल एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपेश टंडेल जी के नेतृत्व में संगठन पर्व संगठन कार्यक्रम दादरा नगर हवेली के कार्य पाठशाला का आयोजन किया गया.

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 83 !!-उद्धव द्वारा “गोपीप्रेम” का गान…भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 83 !!-उद्धव द्वारा “गोपीप्रेम” का गान…भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 83 !!

उद्धव द्वारा “गोपीप्रेम” का गान…
भाग 1

आहा ! पवित्र हो गए थे श्रीराधा चरणों में वन्दन करनें से उद्धव ।

प्रेम का साकार रूप ही तो विराजमान था….
उस यमुना के पावन तट पर ।

श्रीराधारानी के चरणों में गिर गए थे….नेत्रों से अश्रु बह रहे थे उद्धव के ।

भक्ति ? भक्ति तो सब करते हैं……..कौन है ऐसा मुनि, ऋषि महात्मा जो भक्ति न करता हो…….उद्धव जी विचार कर रहे हैं ।

पर बाहरी वस्तु का निषेध करके अंतर्मुखी बनाना यही कार्य है ज्ञान का ………जैसे – आँखों से संसार दीख रहा है ……तो हटाओ संसार को ……और आँखें बन्दकर के अपनें भीतर प्रवेश करो ……वहीं बैठा है तुम्हारा प्यारा …….कहाँ बाहर खोज रहे हो …..अपनें भीतर खोजो ।

ये तरीका है ऋषि, तपश्वी, मनश्वी के चिन्तन का ………….और यही ईश्वरप्राप्ति का मार्ग है …..सदियों से शास्त्र हमें यही बताते आये हैं …….

मुनि ज्ञानी ऋषि ये लोग भक्ति तो करते हैं ……..पर इनकी भक्ति बाहर से भीतर ले जाती है ….यानि बहिर्मुखता से अंतर्मुखी बनाती है …….इसलिये इनकी भक्ति को “शान्त रस” कहा जाता है ।

पर ये गोपियाँ ….. ………लम्बी साँस लेते हैं उद्धव…….

जैसे चन्द्रमा में शीतलता है …..तो वह समस्त को शीतलता ही देता है ……..अग्नि में दाहकता है ……..तो जो उसके पास जाएगा ……वह उसे गर्मी ही देगा ……..उद्धव इस तरह से विचार कर रहे हैं …….इन गोपियों के अंदर भक्ति-प्रेम लवालव भर गया है ………अब वो उछलता है ……तो बाहर की ओर ही छलकेगा ……..अद्भुत ! उद्धव जी विचार करके ही आनन्दित हो रहे हैं ।

मुनियों नें अपनें हृदय में ध्यान करके “उसको” पा लिया ….और शान्त हो गए …….पर इन गोपियों की बात तो निराली है भई !

इन्होनें मात्र अपनें हृदय में नही रखा अपनें श्याम सुन्दर को ……..उसे बाहर लायीं …….फिर सजाया भी …….संवारा भी …………मोर पंख लगा दिया …..पीताम्बरी पहना दी ……..बाँसुरी हाथ में दे दी ………..फिर दूर खड़ी होकर निहारनें लगीं …………उद्धव विचार करते हैं – जिन नेत्रों के दृश्य का ऋषि मुनि ज्ञानियों नें तिरस्कार किया ………उन्हीं नेत्रों का दृश्य ब्रह्म को बनाकर खड़ा कर दिया इन गोपियों के प्रेम नें ……..ओह !

उद्धव जी आनन्दित होते हैं – संसार मिथ्या है …..संसार झूठ है …….सबनें कहा ……..और सब त्यागी बन गए ………..पर गोपियों नें संसार को झूठा नही कहा ……बल्कि इसी संसार को ही रास मण्डल बनाकर नाचनें पर मजबूर कर दिया उस ब्रह्म को ……..फिर तो सर्वत्र वही वही छा गया….वही नाचनें लगा……उसी की बाँसुरी सुनाई देंनें लगी । आँखें बन्द करनें की जरूरत ही नही है इन गोपियों को …….इन्होनें संसार में ही उसे प्रकटा दिया…….खुली आँखों से ही दिखाई देनें लग गया ।

उद्धव विचार करते हैं ………सत्य और अनृत का भेद ही समाप्त ।

जड़ चेतन का भेद ही मिटा दिया इन बृजगोपियों नें …….सर्वत्र इनका कन्हाई ही नाच रहा है………बाहर छलक रहा है इनका प्रेम ! उद्धव बोलना चाहते हैं …….पर अब बोल नही पाते ।

हे महाभागा ! हे राधिके ! हे कृष्ण प्रिये ! हे स्वामिनी !

मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूँ ……………..

श्रीराधारानी का ध्यान अभी इधर नही है ………..

सच्चा त्याग तो आपनें किया है …………महात्मा लोग क्या त्याग करेंगें आपके समान ………बड़े बड़े महर्षि , मुनि ज्ञानी भी आपके त्याग के सामनें नतमस्तक हैं……….उद्धव जी नें श्रीराधारानी से कहा ।

पर हमनें ऐसा क्या त्यागा उद्धव ! मानों श्रीराधा रानी ही पूछ रही हैं ।

ब्रह्मचारी का जप तप करना कोई बड़ी बात नही है ……..ब्रह्मचारी है तो करेगा क्या ? कोई बाबा जी है …..पत्नी है नही ….बाल बच्चे हैं नही …….तो करेगा क्या वो……भजन करे तो क्या बड़ी बात है ?

क्रमशः …
शेष चरित्र कल –

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग