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July 20, 2025 3:48 pm

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 91 !!-उद्धव गीत भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 91 !!-उद्धव गीत भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 91 !!

उद्धव गीत
भाग 2

क्यों न करे ?

 बिना पादत्राण के  चले हैं  यहाँ  वे .......उन्हीं  कोमल चरणों के स्पर्श का अनुभव करते हुए ......धरती को रोमांच हो रहा है ।

बीच बीच में मतवारे मयूर कुहुक उठते हैं !

सम्पूर्ण वृन्दावन मुखरित हो उठता है उनके मादक रव से ।

और उस समय हृदय हठात् पुकार उठता है –

जय हो प्यारे !

मैं धन्य हो गयी ………हो गयी ?

क्या मैं पुरुष नही ? क्या मैं गोपी ?

प्रेम में बिना गोपी बने ………प्रेम पूर्ण होगा कैसे ?

“पुरुष तो एक मात्र कृष्ण है”…….ये रहस्य भी यहीं उजागर होता है ।

जय हो मेरे प्यारे की !

मैं धन्य हो गयी ………..

क्यों की मैं तुम्हारे लीला निकेत में हूँ ।

पर तुम दीखे नही ! क्यों ?

आखिर कब तक छुपोगे ?

कब तक चलेगी ये आँखमिचौनी ?

देखना ! मैं तुम्हे ढूंढ कर ही रहूँगी ।

मेरे मन अधीर मत हो …….वे यहीं कहीं होंगें ।

आहा ! ये श्रीधाम वृन्दावन है ………

देखो देखो ! ये श्रीधाम वृन्दावन है………यहाँ प्रतिक्षण, नवीन नवीन प्रेम लीलाएं अनुष्ठान के रूप में की जाती हैं …………

यहाँ हरियाली जो दीख रही है ना…..यही तो है गौर श्याम का मिलन !

यह वृन्दावन की हरियाली………हरा रँग …….उफ़ ! मानों पीला और काला रँग मिल गया हो……..पीत रँग श्रीराधा रानी का ……और काला रँग श्रीकृष्ण का…….तो दोनों रँग को मिला दो…….हो जाता है हरा ! ये हरियाली “युगल” के मिलन का प्रमाण है ।

क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –

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Author: admin

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