!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 96 !!
जब मथुरा पहुँचें उद्धव…
भाग 2
तभी अक्रूर भी वहाँ आकर खड़े हो गए ……………
किसी की प्रतीक्षा हो रही है क्या ?
अक्रूर नें भी पूछ लिया ।
पर श्रीकृष्ण नें आज न वसुदेव जी के प्रश्न का उत्तर दिया …….न अक्रूर के………न इनकी बातों में ध्यान ही दिया……वो तो देख रहे थे उसी पथ में जिसमें अब उद्धव आने वाले थे ।
तात वसुदेव ! उद्धव दिखाई नही दे रहे आजकल ?
वो महामन्त्री हैं ……….उनको अपनें दायित्व का बोध है की नही ?
अक्रूर नें वसुदेव जी को ये बात पूछी थी ………पर श्रीकृष्ण की ओर भी देख रहे थे अक्रूर ……………
किन्तु श्रीकृष्ण को इन सब से क्या लेना देना था…..उनका ध्यान तो !
अब वो तो देवगुरु के शिष्य हैं उन्हें कौन समझा सकता है !
कुछ व्यंग था वसुदेव जी का, उद्धव के प्रति ।
पर कुछ अनिष्ट की आशंका व्यक्त की जा रही थी , मैं सुन रहा था …..
वसुदेव जी नें अक्रूर से पूछा ।
जी ! वही तो मैं समझा रहा हूँ ………जरासन्ध पागल हो गया है …….वो कभी भी आक्रमण कर सकता है ……ये सूचना कल ही हमारे पास आयी है ……..और वसुदेव जी ! मैने तो यहाँ तक सुना है …..कि विश्व के सबसे बड़े आतंककारी “काल यवन” को बुलानें के लिये वो गया भी है ………अगर काल यवन यहाँ आगया ……तब तो हम सब यदुवंशी समाप्त ही हो जायेंगें …………अक्रूर नें कहा ।
सुना कृष्ण ! क्या कह रहे हैं तुम्हारे काका अक्रूर ? कि जरासन्ध आक्रमण करनें वाला है मथुरा में ! वसुदेव जी नें कृष्ण से कहा …..पर कृष्ण का ध्यान यहाँ की बातों में कहाँ था …….वो तो देख रहे थे अपलक पथ में……….कि मेरा उद्धव सन्देशा लाएगा ।
तभी –
रथ आता हुआ दिखाई दिया ………………सामनें से रथ आरहा था ।
अक्रूर ! ये रथ तो ? वसुदेव जी नें पूछा अक्रूर से ।
अरे ! इसमें तो उद्धव बैठा है ………..और ये उद्धव कैसा हो गया ?
श्रीकृष्ण नें उद्धव को सामनें से आते हुए देखा ………रथ को छोड़ दिया है उद्धव नें …………पैदल आरहे हैं …………….
क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –
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