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November 22, 2024 4:42 pm

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (014) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (014) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (014) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास के हेतु, स्वरूप और काल लौकिक व्याकरण के अनुसार ‘अपितृकः’। देखो इसीलिए कृष्ण भगवान का जो जन्म है न, व्रजवासी लोग समझते हैं कि नन्द बाप हैं और मधुरावासी समझते हैं कि वसुदेव बाप हैं। अब दोनों में कौन बाप हैं? बाप ही गड़बड़ा … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 20 – “नगर के तीन शत्रु” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 20 – “नगर के तीन शत्रु” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 20 – “नगर के तीन शत्रु” ) गतांक से आगे – यत्र भीरुभावरुद्रविधेयकदर्याख्या भूपतिपरिपंथनो राजनिर्जिता नगरानि किमपि नायान्ति ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेमनगर में ) भयानक, रौद्र और वीभत्स ये शत्रु हैं ….इस नगर में ये आये थे किन्तु राजा से पराजित होकर … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 96 !!-जब मथुरा पहुँचें उद्धव…भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 96 !!-जब मथुरा पहुँचें उद्धव…भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 96 !! जब मथुरा पहुँचें उद्धव…भाग 2 तभी अक्रूर भी वहाँ आकर खड़े हो गए …………… किसी की प्रतीक्षा हो रही है क्या ? अक्रूर नें भी पूछ लिया । पर श्रीकृष्ण नें आज न वसुदेव जी के प्रश्न का उत्तर दिया …….न अक्रूर के………न इनकी बातों में ध्यान ही दिया……वो तो देख … Read more