महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (014) : Niru Ashra
महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (014) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास के हेतु, स्वरूप और काल लौकिक व्याकरण के अनुसार ‘अपितृकः’। देखो इसीलिए कृष्ण भगवान का जो जन्म है न, व्रजवासी लोग समझते हैं कि नन्द बाप हैं और मधुरावासी समझते हैं कि वसुदेव बाप हैं। अब दोनों में कौन बाप हैं? बाप ही गड़बड़ा … Read more