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July 20, 2025 10:37 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! “पनघट पे”- एक प्रेम प्रसंग 2 !! भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! “पनघट पे”- एक प्रेम प्रसंग 2 !! भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! “पनघट पे”- एक प्रेम प्रसंग 2 !!
भाग 2

“कन्हाई बैठे हुए हैं…….बड़े प्रसन्न हैं…..राधिका जु की मुद्रिका को बारबार चूम रहे हैं…….और बड़े आनन्दित हो रहे हैं ।

तभी सामनें से आती हुई देखीं राधिका जु और साथ में कई सखियाँ उनकी ………

तुरन्त फेंट में मुद्रिका छुपा ली ………….और खड़े हो गए ।

कहाँ है श्याम सुन्दर ?

ललिता सखी नें पास में पहुँचते ही पूछ लिया था ।

मेरे पास नाँय सखी ! कन्हाई भी बोल दिए ।

ललिता हँसी……खूब हँसी ……क्या नही है तुम्हारे पास ?

मोय का पतो, तेनें कही, कहाँ है ?

तो मैने भी तुक मिलाय दियो कि – मेरे पास नाँय ।

तुक मत मिलाओ ……अब तो मुद्रिका सीधे सीधे दे दो ।

मेरे पास में कहाँ तिहारी मुद्रिका सखी !

कन्हाई हँसनें लगे ।

मेरी नहीं मेरी स्वामिनी जु की मुद्रिका ………..दे दो ।

मेरे पास में नही है ……..बाकी तोय जो करनी होय कर ले ।

अब तो राधिका जु को आगे आना ही पड़ा ………हे प्यारे ! अगर आपकुँ हमारी मुद्रिका मिली होय तो दे दो ……नही तो हम जा रही हैं ।

बड़ी विनम्रता से राधिका जु नें कहा था ।

ललिता ताली बजाकर हँसी …………हे मेरी भोरी स्वामिनी ! चोरन ते ऐसे बात नही कियो जाय !

हम चोर हैं ? कन्हाई थोड़े क्रोधित से हुए ।

नही ….आप चोर नही ….चोरन के सरदार हो …….अब बातन कुँ मत बनाओ चुपचाप मुद्रिका दे दो ।

मेरे पास नही ……….दो टूक बोले ।

राजा से शिकायत कर देंगी …………कन्हाई बोले वो तो हमारे पिता जी हैं ………….ललिता बोली – नहीं कंस राजा से …….कन्हाई हँसते हुए बोले वो तो मेरे मामा हैं …………।

तलाशी दो अपनी……….कन्हाई से फिर ललिता बोली ।

अब रहनें दे ललिता ! इन के पास नही है मेरी मुद्रिका ……चल !

राधिका जु नें ललिता का हाथ पकड़ा और चलनें का आग्रह करनें लगीं ।

मुद्रिका तो लेकर जाऊँगी मैं …………….

चलो ! अपनें हाथ दिखाओ ………….कन्हाई नें जान बूझकर मुट्ठी बांध ली………..मुठ्ठी खोलो …….ललिता बोली ।

ले खोल दिया ………कन्हाई की मुठ्ठी में कुछ था ही नही ……

दूसरी मुठ्ठी खोलो ……….दूसरी मुठ्ठी में भी कुछ नही था ।

ललिते ! ज्यादा अपमान मत कर उनका ……..तू चल अब घर ।

राधारानी फिर बोलीं ।

*क्रमशः ….

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