Explore

Search

July 5, 2025 10:22 am

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

!!”श्रीराधाचरितामृतम्” 115 !!-आल्हादिनी शक्ति का रहस्य भाग 1 : Niru Ashra

!!”श्रीराधाचरितामृतम्” 115 !!-आल्हादिनी शक्ति का रहस्य भाग 1 : Niru Ashra

🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 115 !!

आल्हादिनी शक्ति का रहस्य
भाग 1

साधकों ! ये “राधाभाव” की साधना अत्यन्त प्राचीन है…..और गोप्य भी……कुछ हद्द तक कह सकते हैं कि ये “तन्त्र” के अंतर्गत आता है ।

पर सावधान ! तन्त्र कहते ही साधक डर जाते हैं ……नही ….बल्कि आप देखेंगें तो पायेंगें की “गोपालसहस्त्र नाम” जो कृष्ण भक्त वैष्णवों का बड़ा पावरफुल सहस्त्रनाम है …….सांसारिक कामनाओं की पूर्ति तो करता ही है …….पर तुरन्त अन्तःकरण को शुद्ध कर कृष्ण के दर्शन का अधिकारी भी बना देता है …..ऐसे उदाहरण मैने अनेक देखें हैं ……और स्वयं का भी अनुभव है ।

तो वह गोपालसहस्रनाम तन्त्र के अंतर्गत आता है ।

साधकों ! जो इस राधाभाव की प्राचीन साधना से परिचित हैं ………वह समझेंगें कि –

वृन्दावन और बरसाना “राधाभाव” के मुख्य केंद्र हैं …….इन स्थानों में इस भाव की साधना करनें वाले बहुत विरक्त सन्त थे ……हैं ……वो एक सिद्ध युगलमन्त्र को निरन्तर जपते रहते थे …..हैं ……..

राधे कृष्ण राधे कृष्ण कृष्ण कृष्ण राधे राधे
राधे श्याम राधे श्याम श्याम श्याम राधे राधे !!

अभी भी हैं वो महात्मा, गिरिराज जी की तलहटी में ……..सिद्ध महात्मा हैं …….शरीर में कुछ नही पहनते ………..मैने उनके दर्शन किये ….और एकान्त में उनसे पूछा कि “राधा भाव” की प्राप्ति कैसे हो ? उनका उत्तर था ……….भगवती ललिता की आराधना करो ……….फिर कुछ देर में बोले ……..युगल मन्त्र का खूब जाप करो ( जो मैं करता ही था )

फिर उन महात्मा जी नें मुझे कहा……….ये युगल मन्त्र, तन्त्र के अंतर्गत आता है ……इसे साधारण मत समझना ………यही युगलमन्त्र तुम्हे निकुञ्ज प्रवेश का अधिकारी बना देगा ……..फिर बोले – पर भगवती ललिता को अवश्य मना लेना ……..उनके बिना कुछ भी सम्भव नही है ……..उन्हीं महात्मा के वचन थे ये ……….जैसे श्रीराघवेंद्र के दरवार में बिना पवनसुत की आज्ञा, प्रवेश निषेध है …….नन्दी की आज्ञा बिना

शिवालय में प्रवेश निषेध है …….ऐसे ही ललिता सखी की आज्ञा के बिना युगलवर श्रीराधामाधव के निकट पहुँचना भी असम्भव ही है ।

मैं यहाँ ये भी उद्धृत करना उचित समझता हूँ कि …….”राधाभाव” की साधना करनें वाले गोरखपुर के श्रीराधा बाबा जी …………उन्होंने अपनी ये घटना स्वयं बताई है ……..”उन्हें युगलसरकार नें आज्ञा दी इस नवरात्रि में ……कि भगवती त्रिपुरा सुन्दरी की साधना करो ………और विधि विधान से करो” ।

..विधि कर्मकाण्ड के लिये , काशी में रहनें वाले महामहोपाध्याय प. गोपीनाथ कविराज जी नें मार्गदर्शन किया था ……श्री राधा बाबा के लिये नित्य एक सौ आठ कमल के फूल भगवती त्रिपुरा सुन्दरी की पूजा के लिये ……पूज्य भाई जी ( हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ) नें व्यवस्था कर दी थी ।

क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –

🌺 राधे राधे🌺

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements