🌸🌸🌸🌸🌸
!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 119 !!
निकुञ्ज रहस्य
भाग 3
🌲🍁🌲🍁🌲🍁🌲
पास में जाती हैं वो प्रमुख अष्टसखियाँ …………देखती हैं …………बड़ी गहरी नींद में सोये हैं ………जगाना उचित नही है ………….रंगदेवी जू फिर बोल उठती हैं ।
कुछ देर रंगदेवी और ललिता में बातें हुयीं …………..बस उसी समय कमलनयन के नयन खुल गए …….कमललोचनी के लोचन खुल गए ।
सखियाँ देख रही हैं…..आहा ! दोनों किशोर और किशोरी उठ गए थे ।
घुँघराले बाल उलझे हैं…………श्रीकिशोरी जी का हार और श्याम सुन्दर की मोतिन माला …दोनों एक दूसरे में उलझे हैं ।
श्याम सुन्दर के आँखों में लाली लगी है ………….और श्रीकिशोरी जी के अधरों में काजल लगा है ……..उलझे हुए हैं दोनों एक दूसरे में ।
उठकर बैठ गए …….सखियों नें दर्शन किया……..नजर उतारी ।
दूध मेवा का भोग लगाया……… युगल सरकार नें दूध पीया ।
फिर आचमन कराया दोनों को ……………मुँह पोंछ दिया ।
अर्जुन सखी ! देख रहे हो……देखो ! सखियों नें अर्जुन को दिखाया ।
अब ललिता और रंगदेवी नें, परस्पर अंगों में चित्रावली करनें के लिए युगलवर के हाथों में तूलिका और विलेपन करनें के लिये सुगन्धित द्रव्य अर्पित करनें लगीं……तूलिका लेकर श्रीजी के अंगों में श्याम सुन्दर चित्रावली बनानें लगे…..श्रीजी, श्याम सुन्दर के अंगों में चित्रावली बनानें लगीं ।
जब जब कुछ विशेष बनाना होता …..तब ललिता सखी सहायता करनें के लिये आगे रहती ही थीं ।
अर्जुन ! सखीभाव के बिना क्या हमारी श्रीजी के अंगों में तुम चित्रावली कर सकते हो ?
अर्जुन नें उस सखी के मुख में देखा ……….पर कुछ बोले नही ……क्यों की रहस्योदघाटन हो चुका था ।
चलो अब मंगला आरती …………………..
कितनें सुन्दर लग रहे हैं दोनों, अलसाई आँखें हैं ……….मिले हैं रात भर …….पर अभी भी लग रहा है कि …….अच्छे से देखा भी नही है एक दूसरे को ………ये सनातन प्रेमी हैं ……ये सनातन जोड़ी हैं ……ये सनातन दम्पति हैं …………..
तभी आरती शुरू हो गयी थी ……………..
सब सखियाँ आरती गानें लगीं …………..
निरखि आरती मंगल भोग, मंगल श्यामा श्याम किशोर ।
मंगल श्रीवृन्दावन धाम, मंगल कुञ्ज महल अभिराम ।।
मंगल घण्टा नाद सु होत, मंगल थार मणिन की जोत ।
मंगल दुन्दुभि धुनि छबि छाई, मंगल सहचरी दर्शन आयी ।।
मंगल बीन मृदंग बजावैं, मंगल ताल झाँझ झरलावें ।
मंगल सखी युथ कर जोरैं, मंगल चँवर लिए चहुँ औरें ।।
सब सखियों नें आरती की ….आरती ली ………जयजयकार किया ।
साधकों ! मुझे पता है ये “निकुञ्ज रहस्य” बहुत गोप्य विषय है ।
इसके बारे में खुल कर ज्यादा चर्चा भी नही हुयी है ……….कारण ? कारण यही था ……कि अगर सामनें वाला अधिकारी नही हुआ तो इसकी चर्चा से विशेष कोई लाभ होगा नही ………..अपितु हानि की भी सम्भावना है …………आपको मैं बता दूँ ………श्रीनिम्बार्क सम्प्रदाय के, रसोपासना का एक अद्भुत बृजभाषा में लिखा हुआ राग रागिनियों में गाया जानें वाला …….ग्रन्थ है …..जिसका नाम है महावाणी ।
हमारे वृन्दावन में , आज भी माइक में इन ग्रन्थ के पदों को नही गाया जाता ।
क्यों की विशुद्ध “रस” की चर्चा है इनमें ।
मुझे याद है ………..एक साधक नें मेरे बाबा से पूछा था ……कि निकुञ्ज उपासना के सम्बन्ध में कुछ बतायें ! ये श्रीराधा भाव क्या है ? ये महाभाव क्या है ?
तब मेरे बाबा नें एक ही बात कही थी कि ……….देखो ! मैं तुम्हे कुछ भी कहूँगा तुम्हारी समझ में नही आएगी ……….क्यों की ये प्रेमजगत की बात है ………बड़ी रहस्यमयी है………इसलिये तुम्हे अपना उत्तर सच में ही चाहिये तो ……..
राधे कृष्ण राधे कृष्ण कृष्ण कृष्ण राधे राधे !
राधे श्याम राधे श्याम श्याम श्याम राधे राधे !!
इस युगलमन्त्र का चार लाख जप करके मेरे पास आओ ……फिर मैं तुम्हे बताऊंगा …..निकुञ्ज का रहस्य ।
तो साधकों ! ये रसोपासना …..ये निकुञ्ज रस …….ये श्रीराधाभाव ….ये महाभाव …तभी समझ में आती है ……जब हृदय सत्वगुण से भरा हो ………फिर सत्व गुण भी खतम होजाये ….. तब त्रिगुणातीत होकर साधक “प्रेम राज्य” में प्रवेश करता है ।
क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –
🙌 राधे राधे🙌


Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877