Niru Ashra: 🌲🙏🌲🙏🌲🙏🌲
!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 133 !!
“अब कन्हैया मिलेंगें” – कुरुक्षेत्र जानें की तैयारी
भाग 2
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श्रीदामा नें मनसुख के पीठ पर हाथ मारी …..अरे दारिके ! सुन तो …..वहाँ सूर्यग्रहण है ………….इसलिये हम सब जा रहे हैं ।
तो ? मनसुख नें श्रीदामा से पूछा ।
तो ? सूर्यग्रहण है तो ? यार ! हमें क्या लेना देना सूर्यग्रहण से …..हमारे जीवन में ग्रहण तो उसी दिन लग गया………..जब हमारे कन्हैया नें हमें छोड़ दिया ……मनसुख बोला ।
पर तुम्हे क्या पता ! सूर्यग्रहण में स्नान, कुरुक्षेत्र में स्नान करनें से बहुत पुण्य मिलता है……..श्रीदामा हँसते हुए बोल रहे थे ।
देख भाई ! हमारा दिमाग खराब करो मत …….तुम जाओ ……..खूब पुण्य करो ……..खूब ग्रहण स्नान करो ……..घूमो फिरो ……..पर हमें क्षमा करो ……..देखो ! तुम तो हो बरसानें के युवराज ……पर हम तो कुछ भी नही हैं……..ठीक है जाओ कुरुक्षेत्र ।
ये बात भी मनसुख ही बोला था ।
तोक सखा नें श्रीदामा का हाथ पकड़ा ……और पूछा …..
भैया ! कुरुक्षेत्र जा रहे हो ? पर ये तीर्थ यात्रा का तुम्हारे मन में कब से विचार आया ……और क्यों ? हमें तो कन्हैया के सिवा कुछ भी अच्छा नही लगता ………तीर्थ यात्रा तो बहुत दूर की चीज है ।
और जाओ तो जाओ ……पर इतनी प्रसन्नता हमारे जैसे दुखिया लोगों के सामनें दिखाना क्यों ? ये बात भी तोक सखा नें ही कही थी ।
श्रीदामा ! तेरे मन में ये पुण्य कमानें वाली बात आयी भी कैसे ?
और हम लोग तो ये पाप पुण्य से परे थे …………फिर एकाएक क्या हो गया तुम्हे ? मनसुख दुःखी होकर बोला था ।
“अरे ! कुरुक्षेत्र में कन्हैया आरहा है “
श्रीदामा नें बात को ज्यादा छुपाना उचित नही समझा…..
……और बोल दिया ।
वर्षों के प्यासे को मानों जल की धार मिल गयी हो ………….
क्या ? सच ! कन्हैया मिलेगा हमसे ? हम मिलेंगें कन्हैया से ?
उसे हम देखेगें ? सखाओं में एकाएक उत्साह का संचार हो गया था ।
पर कन्हैया को यहाँ आना चाहिये ना !,
मनसुख बेचारा सीधा है ......सीधी बात बोल दिया था ।
श्रीदामा नें समझाया ……..इतना तो सोचो …..जरासन्ध का राज्य मथुरा में चल रहा है ………और जरासन्ध शत्रु है हमारे कन्हैया का ……कन्हैया इसलिये तो वृन्दावन मिलनें भी नही आता ……..क्यों कि वो मिलनें भी आया तो कहीं “कन्हैया के हम प्रिय हैं” …..ये जरासन्ध की समझ में आजायेगी ……और वो हमारे ऊपर अत्याचार शुरू कर देगा ………हमारा कन्हैया होशियार है ………वो सब समझता है ……सब कुछ समझ कर करता है ।
कुरुक्षेत्र में मिलेंगें हम लोग ….तब क्या जरासन्ध को पता नही चलेगा ?
मनसुख नें फिर पूछा ।
विश्व आरहा है कुरुक्षेत्र में स्नान करनें के लिये ……….समस्त विश्व के राजा महाराजा , प्रजा सब आरहे हैं …………उस भीड़ में कौन किससे मिल रहा है …..ये कहाँ पता चलेगा ? श्रीदामा नें बताया ।
कन्हैया आरहा है………ये जानते हुए जरासन्ध क्या कोई उपद्रव नही करेगा कुरुक्षेत्र में ?
क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –
🌼 राधे राधे🌼
Niru Ashra: 🌲🙏🌲🙏🌲🙏🌲
!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 133 !!
“अब कन्हैया मिलेंगें” – कुरुक्षेत्र जानें की तैयारी
भाग 3
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विश्व आरहा है कुरुक्षेत्र में स्नान करनें के लिये ……….समस्त विश्व के राजा महाराजा , प्रजा सब आरहे हैं …………उस भीड़ में कौन किससे मिल रहा है …..ये कहाँ पता चलेगा ? श्रीदामा नें बताया ।
कन्हैया आरहा है………ये जानते हुए जरासन्ध क्या कोई उपद्रव नही करेगा कुरुक्षेत्र में ?
नही …….कितना भी बड़ा दुष्ट शासक क्यों न हो ……….पर ऐसे धार्मिक कृत्य के अवसर पर कोई घात नही करता ……..श्रीदामा नें समाधान कर दिया था मनसुख की बात का ।
मैं जाऊँगा ! मनसुख अब हँसा …..
…….पहली बार हँसा है सौ वर्षों के बाद ।
कहूँगा उसे …..देख ! दुबला हो गया हूँ……..माखन कोई नही देता मुझे बृज में …….सब बेकार हैं …..मैं शिकायत करूँगा तुम सबकी …….मनसुख के आँसू बह चले थे ……पर ख़ुशी के आँसू थे ये ।
अरे ! माखन लेकर जाएंगे कुरुक्षेत्र ……..और उसे अपनें हाथों से माखन खिलायेंगें ……..वाह ! तोक सखा उछल पड़ा ।
वहाँ खेलेंगें भी ………….मधुमंगल बोला ।
अब तू बच्चा नही है …….खेलेंगे ? मधुमंगल तेरे सिर के सारे बाल देख …सफेद हो गए हैं ………….तू बूढ़ा हो गया है …………
सब हँसे …………खूब हँसे ।
तो क्या हुआ ……….बूढ़ा हो गया तो क्या मैं खेल नही सकता ।
फिर धीरे से बोला मधुमंगल ………कन्हैया भी हमारी तरह ही हो गया होंगा क्या ? उसके भी वे घुँघराले बाल सफेद हो गए होंगें ?
हट्ट ! पागल …………वो तो सदा एक रस रहता है ………हमारा कन्हैया दुनिया से निराला है …………वो बूढ़ा नही होगा ………बूढ़े तो हम होंगें ….तू होगा ………….श्रीदामा नें सब को हँसते हुए कहा ।
अच्छा ! सुनो ! मेरी सुनो ! तोक सखा आगे आया… …..
मैं उसके लिये मोर मुकुट बनाकर ले जाऊँगा ……….
मधुमंगल बोला ………….गूँजा की माला उसे बहुत अच्छी लगती थी …..मैं तो उसे गुंजा की माला पहनाऊँगा ।
हा हा हा हा हा हा …………..कन्हैया मिलेगा !
सखाओं की किलकारीयों से पूरा वृन्दावन गूँज उठा था……..आश्चर्य ! पशु पक्षी इधर उधर दौड़ कर देख रहे हैं ……..कि ये लोग हँसते क्यों हैं …..कहीं कन्हैया तो नही आया ?
पर मिलनें जा रहे हैं ये सब कन्हैया से ……..इनकी प्रतीक्षा पूरी हुयी है अब…….कुरुक्षेत्र जा रहे हैं…………
हे वज्रनाभ ! कुरुक्षेत्र में प्रेमियों का महाकुम्भ लगनें वाला था ……हाँ वृन्दावन के समस्त प्रेमियों का कुम्भ …..द्वारिका के भक्त और मथुरा के …..और हस्तिनापुर के भक्त भी तो आरहे थे ………अरे ! इतना ही नही ………ऋषि मुनि अलग थे ………..देवता भी तैयारी में थे इस सूर्यग्रहण के ………….पर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लोग भले ही आरहे हों इस ग्रहण में ……..पर अनूठे तो ये वृन्दावन के प्रेमी जन ही थे ……..क्यों न हों ……द्वारिकाधीश भी अगर उत्साहित थे इस सूर्यग्रहण को लेकर, तो मात्र “वृन्दावन के प्रेमियों से भेंट होगी”……इसी बात को लेकर ।
शेष चरित्र कल –
🌼 राधे राधे🌼


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