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July 20, 2025 10:35 pm

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मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है प्रभु :Niru Ashra

मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है प्रभु :Niru Ashra

सांसें घट रही,अनुभव जुड़ रहे, अलग अलग कोष्ठकों में बंद हम सब समीकरण बुन रहे,लगाते रहते हैं, गुणा-भाग,जीवन का अंतिम सत्य शून्य ही चुन रहे इस तरह है जीवन का गणित हम सब हल करने में उलझ रहे ,बेकार की चिंता हम क्यों कर रहे,बेकार में ही हम किसी से क्यों डर रहेजो बीत गया उसके लिए पश्चाताप करने से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है,आने वाले वक़्त की चिंता हम क्यूँ कर रहे,अपने वर्तमान को जीने में  ही समझदारी है.,जो हाथ से निकल गया,उसके लिए बेकार में ही हम  क्यों रो रहे,जो भी हमने लिया , यहीं से लिया.और जो हमने दिया!यहीं से दिया…

. हम खाली हाथ आये थे,और हमें खाली हाथ ही चले जाना है,ये शरीर तक हमारा नहीं है.और न ही हम इस शरीर के हैं.ये शरीर पांच तत्वों अग्नि, जल, वायु, पृथ्वीऔर आकाश से मिलकर बना है और इसको मिट्टी में मिल जाना है हम अपने आप को भगवान् के समक्ष अर्पित कर दें.यही सबसे उत्तम ज्ञान श्री गीता का हम सबने माना है.वरना यही गणित माया का उलझते रहिये -शून्य -ही पाना है,,,मै मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी कृपा से!तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ.बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है प्रभु🌹

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