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July 20, 2025 7:03 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम् !! “वो भूरी बछिया” – अद्भुत भाग्य पाया इसनें !!भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम् !! “वो भूरी बछिया” – अद्भुत भाग्य पाया इसनें !!भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! “वो भूरी बछिया” – अद्भुत भाग्य पाया इसनें !!

भाग 2

“पर मुझे तो गाय दुहनी है”……अजीब जिद्द पकड़ के बैठ गए हैं आज ये ।

भूरी कहाँ है ? कन्हैया नें इधर उधर देखा …………

मनसुख हँसा ……..वो दूध नही देगी …..तेरी भूरी दूध नही देगी ।

क्यू ? बड़ी मासूमियत से बोले थे कन्हैया ।

क्यू की ……….उसनें कोई बच्चा जना नही है ……और दूध तब आता है गाय के थन में ……..जब उसका बच्चा उसके थन में मुँह लगाये ……..

मनसुख नें समझा तो दिया कन्हैया को , पर ……….

मैं उसके थन में मुँह लगाकर पीयूं तो ?

क्यों ? मैं उसका बच्चा नही बन सकता ? ये हमें दूध पिलाती हैं …..उस दूध से दही, फिर माखन खाते हैं हम …………

कुछ सोचकर कन्हैया बोले …………..मैं पीयूँगा भूरी का दूध …….और देखता हूँ कैसे दूध नही देती वो भूरी ।

भूरी तो सूँघती है कन्हैया को …………आगयी, सुगन्ध से ही समझ गयी थी वो कि उसका कन्हैया आगया है ।

कन्हैया नें उसे देखा बोले – ……..देखो ! मेरी भूरी आगयी ……कन्हैया बड़े खुश हुए …….भूरी भी आकर कन्हैया को सूँघनें लगी थी ।

सहलाते रहे भूरी को कन्हैया ……….फिर धीरे से बोले …….”दूध देना हैं , इस भद्र नें जितना दुहा है उससे ज्यादा देना”……..कान में बोले थे ।

फिर बैठ गए भूरी के पैरों के पास ………………सब देख रहे हैं कन्हैया को कि ये करेगें क्या ? गोपियाँ आगयीं सब ………..आज कन्हैया गोदोहन करेंगें ………..देवों नें आकाश भर दिया है विमानों से ।

आहा ! तीन थन में से एक थन में अपना अधर लगा लिया कन्हैया नें ……वो भूरी तो आनन्द के कारण नेत्रों से अश्रु बहानें लगी ………..कोमल अधर भूरी के थन में जैसे ही लगे………उस भूरी नें पेट पिचकाए , मूत्र विसर्जन किया ……थन एकाएक मोटे हो गए……….

बस ……….उसी समय बाकी तीन थनों से दूध की धारा बह चली थी ।

एक थन भूरी का कन्हैया के मुख में है ……….

मुँह में दूध भर गया है कन्हैया के ………पी रहे हैं ……….कुछ फ़ैल रहा है ……..भद्र नें तुरन्त कहा ……..दूध फ़ैल रहा है ….लोटा तो लगा ।

कन्हाई नें तुरन्त वो सुवर्ण का लोटा लगा दिया था ……….लोटा तो क्षण में ही भर गया………अब तो फ़ैल रहा है ………….

कन्हैया बड़े खुश हैं……….गोपियाँ कन्हैया की इस लीला को देखकर गदगद् हैं ……..देवताओं नें फूल बरसानें का काम किया ।

कामधेनु अब उस भूरी से ईर्ष्या करनें लगी है ……..मैं भूरी ही बन जाती ….कामधेनु क्यों बनी !

देखा ! मैने दुहा है ये दूध !……..अब कन्हैया सबको दिखा रहे हैं अपनें द्वारा दुहा हुआ दूध ……अभी और दे रही है भूरी दूध ….कन्हैया ये भी कह रहे हैं ……….।

भूरी नें दूध दिया ? उस बछिया नें ? बृजराज को भी आश्चर्य हुआ ……..बृजरानी नें तो जाकर देखा ।

क्यों नही देगी भूरी दूध …………सच में भूरी का भाग्य है ही ऐसा कि कामधेनु भी ईष्या करे……….भूरी ! वो बछिया ।🙏

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