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July 20, 2025 3:43 pm

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*श्रीकृष्णचरितामृतम्*!! वत्सासुर का उद्धार !!*भाग 1* : Niru Ashra

*श्रीकृष्णचरितामृतम्*!! वत्सासुर का उद्धार !!*भाग 1* : Niru Ashra

*श्रीकृष्णचरितामृतम्*
*!! वत्सासुर का उद्धार !!* 
*भाग 1*
कन्हैया खेल रहे हैं वृन्दावन में ……….”वत्सपाल” बनकर आये हैं आज …..बछड़े बछियों को चरानें के लिये लाये हैं  ।
अब वृन्दावन में बछड़े चर रहे हैं ……….उनके गले में माला अभी भी है ……न तो इन्होनें उसे तोड़ी है ……..न पुष्पों का खानें का प्रयास ही किया है …….कन्हैया नें पहनाई है  क्यों  हटायें  ।
उधर कन्हैया खेल रहे हैं ………आँख मिचौली  खेल रहे हैं  ।
अब कन्हैया को छुपना है ………….पर ये छुप सकता है क्या  ?
इसका तेज इसे किसी से भी छुपनें देगा  ?      
ये जिधर छिपते हैं …….उधर ही पक्षी  बोलना शुरू कर देते हैं ……कपि  सब उधर ही  प्रसन्नता से दौड़ पड़ते हैं……झेंप कर बाहर आना ही पड़ता है कन्हैया को  ।
मनसुख नें कहा था……”मैं लाठी चलाना सिखाऊंगा”…….ये बात एकाएक स्मरण हो आती है  कन्हैया  को ।
मनसुख !  लाठी चलाना सिखा  !   कन्हैया को भी  विविध खेल चाहियें …….एक से ये बहुत जल्दी बोर भी हो जाता है  ।
“ठीक है…ये ले लाठी”……मनसुख नें  अपनी लाठी  कन्हैया को दी ।
अब ?        लाठी पकड़कर  कन्हाई नें पूछा   ।
मुझें  मार  !      मनसुख बोला  …………..
लाठी देखी कन्हैया नें ……फिर अपनें प्रिय सखा मनसुख को देखा ……..
अरे अरे !  ये तो रोनें लगा …………मैं तुझे क्यों मारू  ?    तू तो मेरा सखा है  !        हये !  कितना  प्यार करता है ये अपनें लोगों से  ।
तुझे सीखनी है या नही  ?   मनसुख  को गुस्सा आरहा है अब  ।
पर मैं  तुझे लाठी नही मार सकता   ।
आँसुओं को पोंछते हुये  कन्हैया नें  कह दिया   ।🌹
क्रमशः …

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