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December 4, 2024 6:43 pm

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दादरा नगर हवेली एवं दमन-दीव क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्री दुष्यन्त भाई पटेल एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपेश टंडेल जी के नेतृत्व में संगठन पर्व संगठन कार्यक्रम दादरा नगर हवेली के कार्य पाठशाला का आयोजन किया गया.

! श्रीकृष्णचरितामृतम्जब -सब सखा कन्हैया बनें” – बकासुर उद्धार !! PART 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! “जब सब सखा कन्हैया बनें” – बकासुर उद्धार !!

भाग s2

क्या छटा है आज के वत्स चारण की…….एक कन्हैया कहाँ हैं आज …..सब सखा कन्हैया ही बन गए हैं …..सबके सिर में मोर पंख है ……सबकी फेंट में बाँसुरी है ……वनमाला है गले में झूलती हुयी ।

नन्दगाँव का हर व्यक्ति इन सबको देखकर हँस रहा है………

पर तात ! ये छोटे छोटे बालक लोग कन्हैया के प्रेम के चलते …….ओह ! उद्धव आनन्दित होते हैं……विचार करो तात विदुर जी !

जगत का रक्षक , परब्रह्म श्रीकृष्ण , उनकी रक्षा करनें के लिये ये सब सखा……. उन्हीं का रूप धारण करके चल रहे हैं ।

वृन्दावन में पहुँचकर सब खेलनें लगे……और बछिया बछड़े चरनें लगे ।

तभी – बकासुर दैत्य आगया ……..बगुला का रूप धारण करके आया था ये ………और बगुला भी साधारण नही ……….विशाल ।


जाजलि ऋषि , बड़े साधन निष्ठ तपस्वी थे ।

सागर और गंगा जहाँ मिलते हैं ……..भगवान कपिल ऋषि का जहाँ निवास है ऐसे गंगा सागर में बैठ कर भगवान कपिल का सत्संग सुन रहे थे ………….भगवान कपिल बड़े ही प्रेम से अध्यात्म के गूढ़ तत्व का विवेचन करते ……उसी का बाद में ऋषि जाजलि मनन करते ……अपनें में ही शान्त चित्त रहनें वाले ये ऋषि ……पर उस दिन इनको क्रोध आगया था तात ! उद्धव नें विदुर जी को कहा ।

वो असुर सागर से मछलियाँ पकड़ पकड़ कर खानें लगा था ।

मैं कहाँ अध्यात्म के चिन्तन में लीन……..पर उसी समय मछलियों का कोलाहल ….रुदन …….चीत्कार……..मैं इन सबको सुन सकता हूँ ।

ऋषि जाजलि की साधना में विघ्न हुआ……..वो वहाँ से उठकर दूसरे तट में चल गए थे ……ये तट इस बार सागर का नही …..गंगा जी का था ………पर ये क्या बात हुयी …….वो दैत्य यहाँ पर भी आ धमका ।

मेरा चित्त कभी अशान्त नही हुआ था ………….मैने उस दैत्य से कहा भी कि …….तुम कहीं और जाओ ……..मैं यहाँ साधना में लीन हूँ ।

पर वो मेरे जैसे ऋषि की बातों को क्यों सुननें लगा …………

बस मछलियों को ताक रहा था …….और एक साथ अपनी विशाल मुट्ठियों में भर लेता मछलियों को ……..और खा जाता ।

ऋषि नें उसे बहुत बार समझाया ……पर वो माना नही ………

“जा बगुला हो जा”……….श्राप दे दिया ऋषि नें ।

वो देखते ही देखते बगुला बन गया ……विशाल बगुला ।

उद्धव कहते हैं ……………..ऋषि जाजलि के श्राप से ही वो दैत्य बगुला बना मथुरा में एक दिन आगया था ………….पूतना को इसनें बहन बना लिया ………..पूतना भी इसे भाई मानती थी ।

आज बकासुर नें अपनी बहन पूतना के बारे में जब सुना ………..कि एक ग्वाले नें उसकी बहन को मार दिया …..तो .वो क्रोधित हो उठा ….और कंस से बोलकर वो वृन्दावन में चला आया था ।

क्रमशः…

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