राधे झूलन पधारौ झुक आये बदरा…
सावन के महीने में श्याम सुंदर और श्रीप्रिया जी की झूलन लीला का आनंद ।
मथुरा. जब ब्रज मण्डल के ऊपर आसमान में काली घटाओं का चहुंओर साम्राज्य हो जाता है, बिजली कौंधने लग जाती है, बादलों की गड़गड़ाहट के मध्य रिमझिम वर्षा होने लग जाती है। वर्षा ऋतु को आये इसी तरह एक मास बीत जाता है और फिर प्रारंभ होता है श्रावण मास।
रमणीय हो जाता है ब्रज मंडलगुरु पूर्णिमा के दिन से ही सावन का महीना शुरु हो जाता है। इस समय समूचे ब्रज मण्डल की पावन धरा का प्राकृतिक सौन्दर्य बेहद रमणीय और मनोहारी हो जाता है। चारों तरफ हरियाली का साम्राज्य नजर आता है। वृक्षों पर पक्षी प्रसन्न चित्त से बड़ा ही मधुर कलरव करने लग जाते हैं।
श्याम सुंदर और श्रीप्रिया जी की झूलन लीला इसी पावन और दिव्य वातावरण में प्यारे श्याम सुंदर और श्रीप्रिया जी की झूलन लीला प्रारंभ होती है जो पूरे एक माह तक होती है। ठाकुरजी की इसी लीला का साक्षी है ब्रज के मन्दिरों में मनाया जाने वाला हिंड़ोला (झूलन) उत्सव। प्रायः सभी मन्दिरों में ठाकुरजी को सोने चांदी और चन्दन की लकड़ी से बने हिंड़ोलों में बड़े ही श्रृद्धाभाव से झुलाया जाता है। वृन्दावन के बिहारीजी सहित ब्रज के सभी प्रमुख मन्दिरों और बरसाना के श्रीजी मन्दिर में हरियाली तीज से झूला में बिराजमान ठाकुरजी के दर्शन करवाये जाते हैं ।
नंदगांव में श्रीकृष्ण और बलराम झूला झूलते हैंवहीं नन्दगांव के श्री नन्दबाबा मन्दिर में तो गुरु पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन तक पूरे एक महीना ठाकुरजी झूला झूलते हैं। यहां की खास बात ये है कि और मन्दिरों में तो राधा कृष्ण झूला झूलते हैं, लेकिन नन्दगांव के नन्दभवन में दोनों भाई श्रीकृष्ण-बलराम झूला झूलते हैं। यहां 15 दिन चांदी के हिंडोले में ठाकुरजी बिराजमान होते हैं और हरियाली अमावस्या से बाकी के 15 दिन तक स्वर्ण जड़ित हिंडोले में दोनों भाई कृष्ण-बलराम बिराजमान होकर अपने भक्तों को आनंद प्रदान करते हैं।
गोपियां मल्हार के गीत से आनंद प्रदान करती हैंसंध्या के समय ठाकुरजी की इसी दिव्य झांकी के दर्शन आपको नन्दभवन में प्राप्त होंगे । जब ठाकुरजी झूला झूलते है तो उस वक्त मन्दिर प्रांगण में नन्दगांव की गोपियां ठाकुरजी को हिंडोले के गीत और मल्हार सुनाकर आनन्द प्रदान करती हैं-कारी रे कमरिया लाला लीजो रे उढायनन्दगांव भवन में झूला झूले दोऊ भईयादेख या छवि कूं, मैया लेते बलईयानेंहनी नेंहनी बूंदन भीजे रे कन्हैया*
गोस्वामी समाज के मधुर गायन से गूंज उठता है ब्रजब्रज गोपिकाओं की मल्हारों के बाद गोस्वामी समाज के लोगों द्वारा रसिक जनों की वाणी का शास्त्रीय संगीत की पद्धति से पक्के रागों पर आधारित पदों का बड़ा ही मधुर गायन पूरे माह किया जाता है । प्रस्तुत हैं यहां कुछ प्रसिद्ध पद-एक….सखी मोय बूंदन अचानक लागी ।सोवत हुती मदन मदमाती घनश्याम गरज्यो तब जागी॥दादुर मोर पपैया बोले कोयल शब्द सुहागी ।कुम्भनदास लाल गिरिधर सों जाय मिली बड़भागी ॥
दो…हिंडोले मलाई झूलते हैं नन्दलाल ।गावत सरस्वती सकल ब्रजबनिता बाढ्यों हे रंग रसाल ॥संग झूलते वृषभान नन्दनी उर गज मोतिनमाल ।कंचन वेली यों राजत है अरुझी श्याम तमाल ॥बाजत ताल पखावज मुरली पग नूपुर झनकार ।”सूरदास” प्रभु की छबि ऊपर तन मन डारो वार ॥
तीन…हिंडोरे मलाई झूलते लाल बिहारी ।संग झूलत वृषभान नन्दनी प्राणन हूँ तें प्यारीनीलाम्बर पीताम्बर की छबि घनश्याम दामिन अनुहारी ।बलि बलि जाऊँ युगल चरनन पे “कृष्णदास” बलिहारी ॥इस प्रकार नन्दगांव सहित सम्पूर्ण ब्रजभूमि में सावन के महीने में प्रकट होने वाले अलौकिक आनंद को आपसब तक पहुंचाने का पत्रिका उत्तर प्रदेश ने प्रयास किया है, वैसे असल आनन्द प्राप्त करने लिये तो आप सभी वैष्णव जनों को इस पावन ब्रजधाम में आना पड़ेगा।
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