NRI केशव बटाक ने पीएम मोदी को संविधान दिवस की दी बधाई, अव्यवहारिक संवैधानिक प्रावधानों को समाप्त करने का दिया प्रस्ताव♦️ केशव बटाक ने पीएम मोदी को भेजे पत्र में लिखा कि 75 वर्ष पुराने भारतीय संविधान में कई सारे प्रावधानों से बहुसंख्यक समाज की भावनाएं हो रही आहत

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26-11-2024
NRI केशव बटाक ने पीएम मोदी को संविधान दिवस की दी बधाई, अव्यवहारिक संवैधानिक प्रावधानों को समाप्त करने का दिया प्रस्ताव
♦️ केशव बटाक ने पीएम मोदी को भेजे पत्र में लिखा कि 75 वर्ष पुराने भारतीय संविधान में कई सारे प्रावधानों से बहुसंख्यक समाज की भावनाएं हो रही आहत


NRI केशव बटाक ने भारतीय संविधान दिवस पर आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर भारत के संविधान से अव्यवहारिक, अप्रासंगिक और बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले प्रावधानों को समाप्त करने की माँग की। NRI GROUP, London-UK के कन्वीनर केशव बटाक ने पीएम मोदी को सेन्ट्रल लंदन से भेजे पत्र में लिखा कि संविधान दिवस की हार्दिक बधाई। प्रधानमंत्री जी! भारत के बहुसंख्यक समाज के करोड़ों लोगों ने भारतीय संविधान को उनकी भावनाओं के अनुरूप न्यायसंगत प्रावधानों से युक्त करने के लिए बड़े ही भरोसे के साथ देश की बागडोर आपके हाथों में सौंपने में बड़ी भूमिका निभाई थी। मगर आपकी अगुवाई वाली केन्द्रीय सरकार दो कार्यकाल पूर्ण करने के बाद तीसरे टर्म में पाँच महीने बीतने के बाद भी भारत के बहुसंख्यक समाज के करोड़ों लोगों की भावनाओं के अनुरूप भारतीय संविधान के अव्यवहारिक, अप्रासंगिक और असमानता वाले प्रावधानों को समाप्त नहीं कर पाई है। केशव बटाक ने भारतीय संविधान के अव्यवहारिक, अप्रासंगिक और असमानता वाले प्रावधानों के बारे में बताते हुए पीएम मोदी को पत्र में लिखा कि भारत के बहुसंख्यक समाज के उपासना स्थलों और वहाँ श्रद्धालुओं से प्राप्त दान आदि संपत्तियों पर आजादी के 77 वर्षों के बाद भी सरकारी नियंत्रण बरकरार है। बहुसंख्यक समाज के गुरूकुलों को सरकार बढ़ावा नहीं दे रही है। जबकि दूसरे समाज के पारम्परिक शालाओं को सरकार कम आबादी के वर्गीकरण के आधार पर बढ़ावा देती आ रही है। ऐसे समाजों के उपासना स्थलों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, जबकि उन उपासना स्थलों में देश और दुनिया भर से आर्थिक मदद आती है। एक ही देश में यह दोहरा संवैधानिक प्रावधान नहीं होना चाहिए। बहुसंख्यक समाज के लिए संविधान में कोई पर्सनल लॉ, बहुपत्नी विवाह, सनातन बोर्ड का प्रावधान नहीं है। ऐसे कईयों प्रावधान संविधान में हैं जिनसे बहुसंख्यक समाज की भावनाएं आहत होती रही हैं। सदियों से बहुसंख्यक सनातन संस्कृति वाले भारत के माथे पर सेक्युलर कंट्री का बोझ डाला हुआ है, जिसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। NRI केशव बटाक ने पीएम मोदी को भेजे पत्र में आगे लिखा कि प्रधानमंत्री जी ! 75 वर्ष पुराने भारतीय संविधान के उक्त सारे ही अप्रासंगिक व अव्यवहारिक प्रावधानों को समाप्त करने की जरूरत है। आज का नया भारत प्रगतिशील प्रावधानों वाला संविधान चाहता है, जिसमें बहुसंख्यक समाज का सम्मान और देश का गौरव बढ़ाने और सर्व समाज के हितों के प्रावधान हों। प्रधानमंत्री जी! जिस प्रकार आपकी सरकार ब्रिटिश राज के अव्यवहारिक कानूनों को बदलने और खत्म करने का कार्य कर रही है, उसी प्रकार देश के बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले प्रावधानों को खत्म कर भारत को संवैधानिक हिन्दू राष्ट्र घोषित कीजिए।

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