जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमे महसूस करना है कि, हमारे जीवन के दिन अब उतने नहीं बचे, जितने हमने जी लिए हैं। इस अहसास से हमने जीवन में कई बदलाव ला दिए हैं:-
- अब किसी प्रियजन की विदाई पर रोना छोड़ दिया है, क्योंकि मैंने स्वीकार कर लिया है कि हर किसी की
बारी आएगी, मेरी भी। - मेरी विदाई के बाद क्या होगा, इसकी चिंता करना भी छोड़ दिया है। सब कुछ वैसे ही चलता रहेगा।
- अब सामने वाले की संपत्ति, शक्ति या पद से डर नहीं लगता।
- अपने लिए समय निकालता हूँ और समझ चुका हूँ कि दुनिया मेरे बिना भी चलेगी।
- छोटे व्यापारियों और फेरीवालों से मोलभाव करना बंद कर दिया है, और कभी-कभी जानबूझकर थोड़ा ज्यादा दे देता हूँ।
- जरूरतमंदों को बिना मांगे छोटी-छोटी मदद देकर उनके चेहरे की खुशी में आनंद ढूँढता हूँ।
- जब कोई गलत व्यक्ति बहस करता है, तो अपनी मानसिक शांति को प्राथमिकता देता हूँ।
- बुजुर्गों और बच्चों की बार-बार कही बातों को बिना टोके सुन लेता हूँ।
- ब्रांडेड चीज़ों की बजाय विचारों और भावनाओं से व्यक्तित्व को आंकने लगा हूँ।
- जो लोग अपनी आदतें मुझ पर थोपते हैं, उनसे दूर रहना सीख लिया है।
- अब हम लोगों को जीवन के इस दौर मे योग, प्राणायाम, आयुर्वेदिक औषधि ध्यान , हितभूक ऋतुभूक मितभूक आहार, विहार, भक्तिभाव, सनातन धर्म के ग्रंथों- गीता, उपनिषदों, श्री मदभागवत और अन्य पुराणों के अध्ययन में समय लगाना चाहिए! अब किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हूँ और जीवन को सरलता से जीता हूँ। यह जान गया हूँ कि जीवन दूसरों को खुश रखने से नहीं, बल्कि अपने अंदर के आनंद को पहचानने से संतोष मिलता है।
हर पल को पूरी तरह जीने की कोशिश करता हूँ, क्योंकि अब यह समझ आ गया है कि जीवन अमूल्य है और यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है।
आंतरिक शांति के लिए मानवता की सेवा, जीव दया और प्रकृति से जुड़कर जीने लगा हूँ। यह महसूस हो गया है कि अंततः सब कुछ यहीं रह जाना है, और हमारे साथ केवल प्रेम, आदर और मानवता ही जाएगी।
देर से ही सही, लेकिन अब मुझे जीना आ गया है। 😊


Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877