श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! “जार शिखामणि” – एक निर्दोष लीला !!
अहाहा ! कैसो अद्भुत प्रेम है या बृज कौ ! सच , अगर या बृज की धूर बनवे की कामना ब्रह्मादि देवता करे हैं तो यामें आश्चर्य कहा ?
विशुद्ध प्रेम है या बृज कौ , और अपनौ कन्हैया ? वु तो प्रेमिन को चाकर है चाकर !
चोरन कौ सरदार तो है ही ……पर जितनें “जार” हैं ना या संसार में उनकौ हूँ जे सरदार है……वैसे देखि जाय तो पुरुष एक मात्र या विश्व ब्रह्माण्ड कौ अपनौ कन्हैया ही है ……बाकी सब “वाही” की हैं । ………इन गोपिन के जो पति हैं….या जगत की जितनी स्त्रियां हैं उनके जो पति हैं उन पतियन को भी जो पति है बु हमारो कन्हैया ही तो है ।
गलत मत समझियों या लीला कुँ…….क्यों की जा समय कन्हैया की अवस्था मात्र “छ वर्ष” की है ।…….उद्धव लीला कौ गान करके सुनाय रहे हैं विदुर जी कुं ।
कन्हैया ! ओ लाला ! तैनें भाभी कुँ छेड़ो है ?
मैया बृजरानी नें घर में आते भये अपनें लाडले कुँ आज डाँट लगाई ।
बृजरानी कुँ रिस आनौ स्वाभाविक है……..ये बेचारी नई बहु …..”चमेली वन” ते ब्याह के आई है …..सात दिना ही तो भये हैं याके ।
झूठो बहानों बनाएगी जे कहनौ सही नही है……..क्यों की नई आई है या नन्दगाँव में …….भोली छोरी है बेचारी…….अवई ब्याह भयो ही है ।
आज मैया बृजरानी के पास चली आई……..बृजरानी कुँ भी लग रह्यो है कि मेरी ही बहु है ।
वैसे या बहु नें कन्हैया की शिकायत अपनी सास ते हूँ करी …….पर सास कछु बोली नही …………बोली भी तो यही – “तू जा बृजरानी के पास और जाय के उलाहनौ देके आ …….जा ! “
बेचारी बहु …….जाते ही बृजरानी के चरण छूए यानें ……..मैया आशीर्वाद देंती कि जे तो रोयवे लगी …….फफक फफक के ।
अपनें आँचल ते यशुमति नें या के आँसू पोंछे ………..बड़ो ही प्यार कियो …….फिर पूछवे लगीं – कहा भयो ? काही कुँ रोवै है ?
अजी ! नई बहु नें जो सुनायो ……….सुनके तो बृजरानी क्रोधित हैं गयीं ……..रिस के मारे मुखमण्डल लाल है गयो ……।
बस, वाही समय कन्हैया खेलते भये आय गए …………
कन्हैया ! तैनें भाभी कुँ छेड़ो है ?
मैने ? भाभी कुँ ?
कन्हैया कछु समझ ही नाँय पाये ……क्यों की मैया नें एकाएक पूछ लियो हो ।
फिर ध्यान ते भाभी कुं देख्यो कन्हैया नें……..घूँघट लम्बी खेंच रखी ही …….झुक के मुँह में देखवे लगे…..देखवे जे लगे की, नई भाभी ही है या कोई और ?
जब पक्को है गयो …..भाभी है ! नई भाभी ही है …..
तब बड़े प्रसन्न है गए ………मैया ! मैया ! जे भाभी ते ही मैं कहतो …..”दूध पिवाय दे” । ……हद्द है …मैया को बतानें लगे थे ।
दूध ? मैया चौंक गयी ………पर कन्हैया तो कन्हैया है ………आँचल खींचवे लगे वा नई बहु के ।
हट्ट ! छोड़ ! छोड़ ! मैया समझ गयी कि ऊधमी है कन्हैया ……अब जे ऊधम मचायगो ।
कहा चहिये तोय ! चौं परेशान कर रह्यो है बेचारीये !
मैया नें फटकार लगाई ……..”दूध पिवावे नायँ भाभी ……….बोल मैया ! याते, मोकूँ दूध ….”
शरमा के धरती में गढ़ी जा रही है बेचारी नई बहु ………….
दूध कहाँ है याके ? मैया समझानों चाहे ।
“है तो” ………कन्हैया भी बोले ।
“पर आवै नाय “……………मैया कुँ भी हँसी आगयी ।
चौं ? चौं ना आवै ? अब मैया याकौ कहाँ उत्तर दे ।
“चौं कि …….बेटा नाय भयो याके ……जा लिये दूध नही आवे”……..मैया भी ज्यादा बोल नही पा रहीं ।
अरे अरे ! धरती में बैठ गयो जे कन्हैया तो ……और रोयवे लग्यो …………”तो या भाभी ते कह , बेटा दे दे …….जल्दी बेटा दे ………..
अब तो शरमाय के नई बहु भागी अपनें घर ………..और इधर अब मैया बृजरानी का हँस हँस के बुरा हाल हो गया था ।
पर कन्हैया अभी भी रो रहे हैं …….और अपनें नन्हे चरणों को पटक रहे हैं …….दूध पीनों है नई भाभी के ………….हद्द है !
“चौर जार शिखामणि”……….उद्धव भी हँसते हुए बोले ।🙏
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