Explore

Search

November 21, 2024 1:01 pm

लेटेस्ट न्यूज़

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! धेनुक राक्षस का वध !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! धेनुक राक्षस का वध !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! धेनुक राक्षस का वध !!

भाग 2

जाओ फल खाओ ……..कन्हैया नें बड़ी सहजता में कह दियो ।

वहाँ असुर रहे है …………….श्रीदामा बोल्यो ।

अरे ! तो दाऊ दादा तुम्हारे साथ है …………..कन्हैया नें अपनें दाऊ कूँ उकसाये दियो ……..चौं दाऊ दादा ! जाओ ………रक्षा करो इन सबकी !

दाऊ चल दिए …….आओ मेरे पीछे पीछे ……कोई असुर कछु न कर पावेगो………दाऊ चल पड़े आगे और पीछे सब ग्वाल बाल ।

मैं भी आऊँ दादा ? कन्हैया चिल्लाये जोर ते ।

नायँ रहन दे ………मैं अकेलो ही पर्याप्त हूँ ………दाऊ चले गए थे ।


खाओ ! खाओ ! ताल वृक्ष के मीठे फल !

शेषावतार दाऊ नें सब ग्वालों से तालवन पहुँचते ही कह दिया था ।

खानें लगे फल ……….सब निश्चिन्त होकर खानें लगे थे ।

कन्हैया नें भी विचार किया ….अकेले यहाँ क्या रहूँ …..चलूँ मैं भी ।

कन्हैया भी आगये ……….और कन्हैया को देखकर तो सब और प्रसन्नता से उछल पड़े ………खूब खानें लगे थे फल ।

पर –

ये भयानक आवाज कहाँ से आरही है ! ग्वालों का फल खाना एकाएक रुक गया था ………क्यों की “ढेंचू ढेंचू” की ये आवाज इतनी भयानक थी कि चारों दिशाएँ कम्पित हो रहीं थीं ।

सामनें से एक विशाल गधा ………..धूल उड़ाता हुआ ………और धूल इतनी उड़ रही थी …..कि कोई किसी को देख नही पा रहा था ।

कन्हैया जोर से चिल्लाये – दादा !

सावधान हुए शेषावतार दाऊ……….सामनें आकर खड़ा हो गया था वो असुर ………जो गधे के रूप में था ।

दाऊ विद्युत गति से मुड़े ……..उस धेनुक नामक गधे के पैरों को जोर से पकड़ा ………….और संकर्षण बलभद्र नें चारों दिशाओं में उसे घुमाकर फेंक दिया.।

……….कन्हैया नें ताली बजाई ……..

क्यों की बलराम जी नें उसका एक ही बार में वध कर दिया था ।

पर कन्हैया अब अतिप्रसन्न हैं …………और ये देखकर तो और प्रसन्न हुये …….कि देवताओं नें उनके दाऊ भैया के ऊपर पुष्प बरसाए थे ।

ग्वाल सखाओं नें आनन्दित होकर खूब फल खाये …….पेट भरकर फल खाये …….अब ये वन असुर से मुक्त हो चुका था …इस बात की सबको प्रसन्नता थी ……विशेष प्रसन्नता तो हमारे नन्दनन्दन को हुयी ।

“बहुत बडौ काम कियो दाऊ दादा नें”………..वापस लौट रहे हैं वृन्दावन ते अपनें घर की ओर कन्हैया ………….क्या सुन्दर रूप है या समय कन्हैया कौ ………….मुस्कुरा रहे हैं …….कानन में कुण्डल नही हैं …….पर कुण्डल के स्थान पर कदम्ब के पुष्प हैं …………बैजयन्ति की अद्भुत सुगन्धित माला है …..जो उनके घोंटुन तक झूल रही है ।

फेंट में बाँसुरी है ………पीताम्बरी हवा के झौंकन ते हिल रही है ।

वाह ! वाह ! क्या बडौ काम कियो है आज हमारे दाऊ दादा नें ।

कन्हैया हँसते भये सबकूँ बताय रहे हैं ……………..दाऊ दादा फूल के कुप्पा है गए …………..

पतो है दाऊ दादा नें कितनौ बडौ काम कियो ?

फिर हँसते हुये उस बात कौ दोहराते हैं .कन्हैया ।

कहा कियो ? हमैं भी तो बताओ ? मनसुख आनन्द ले रह्यो है ।

“एक गधा कूँ मार दियो “

जे कहते भये जोर जोर ते हँस रहे हैं कन्हैया ……………सब हंसवे लगे……..मनसुखादि तो लोट पोट है गए धरती में ।

“वो कोई साधारण गधा नही था” ……….दाऊ दादा को इस तरह इन सबका हँसना अच्छा नही लग रहा ।

पर दादा ! गधा तो गधा ही था ……और तुमनें एक गधा कूँ मार दियो ……बहुत बडौ काम कियो है ……….ये कहते हुए फिर सब हँसनें लगे ।

तू चल ! मैं बताऊँ तोहे ………..मोहे छेड़ रह्यो है ?

दाऊ गुस्सा है रहे हैं ………………

तात ! ये सब इस तरह आनन्द लेते हुए …….हँसी विनोद करते हुए नन्दभवन में लौट आये थे ।

उद्धव नें विदुर जी को बताया ।

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग