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July 7, 2025 12:34 am

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श्री जगन्नाथ मंदिर सेवा संस्थान दुनेठा दमण ने जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा दुनेठा मंदिर से गुंडीचा मंदिर अमर कॉम्प्लेक्स तक किया था यात्रा 27 जुन को शुरु हुई थी, 5 जुलाई तक गुंडीचा मंदिर मे पुजा अर्चना तथा भजन कीर्तन होते रहे यात्रा की शुरुआत से लेकर सभी भक्तजनों ने सहयोग दिया था संस्थान के मुख्या श्रीमति अंजलि नंदा के मार्गदर्शन से सम्पन्न हुआ

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! वर्षा ऋतु में श्रीराधाकृष्ण !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! वर्षा ऋतु में श्रीराधाकृष्ण !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! वर्षा ऋतु में श्रीराधाकृष्ण !!

भाग 1

वर्षा ऋतु नें बृज में प्रवेश किया…….आकाश में काले काले बादल छा गए…….बादल घुमड़ घुमड़ के छा रहे थे ।

पृथ्वी प्यासी थी अब उसकी प्यास बुझेगी ……..पृथ्वी ही क्यों समस्त जीवों की प्यास बुझनें वाली है ………बड़ी बड़ी बूंदे पड़नें लगी थीं ….देखते ही देखते जल ही जल हो गया सर्वत्र ……..बिजुली मध्य मध्य में चमक रही थी ….मेघ गम्भीर ध्वनि कर रहे थे ।

भरी दोपहरी में अन्धकार हो गया……..मेढ़क टर्र टर्र करके बोलना शुरू कर दिए…….

ग्वाल बालों नें गायों को देखना शुरू किया ………पर कन्हैया गिरिराज में चढ़कर अपनें सखाओं को बोले ………तुम लोग जाओ गायों को लेकर …..मैं कुछ समय बाद आऊँगा ।

क्यों बरसानें जाएगा क्या ? मनसुख नें हँसते हुए कहा ।

हट्ट !

कन्हैया गिरिराज पर्वत से उतर कर चल दिए बरसानें की ओर …….पर अपनें सखाओं को बताया नही ।

वर्षा में भींगते हुये ………आहा ! क्या शोभा बन रही थी ……वो घुँघराले केश भींग गए थे ………उन केशों से जल टपक रहा था ………कस्तूरी का तिलक बहकर कपोलों में आगया था ……….पीताम्बरी पूरी भींग गयी थी……..जैसे तैसे वृक्षों की ओट में वर्षा से बचते बचाते पहुँचे ये बरसाना……..पर पूरे के पूरे भींग गए श्याम सुन्दर ………आकाश के बादलों को देखो तो लगता नही कि ये वर्षा आज रुकेगी !


लाडिली ! चलिये ….मत भीजिये……..कन्हैया आएंगे नही !

ललिता सखी नें गहवर वन में बैठीं श्रीराधिका जू से विनती की ।

नहीं नही सखी ! वे आएंगे ……….उन्होंने मुझे कहा था वे अवश्य आएंगे ………….वर्षा तेज हो रही है ………पर श्रीराधा को इस बात की परवाह कहाँ ! ललिता छत्र ओढ़ाती हैं श्रीजी को……..पर छत्र से आज ये बुँदे रुकनें वाली कहाँ थीं ।

साड़ी भींग गयी है ……..चोली भींग गयी हैं ……….मस्तक में लगा हुआ श्याम बिन्दु भींग कर उनके गोरे कपोलों में आगया है ।

बारबार देखती हैं वृन्दावन की ओर ……अब आये ! कि अब आये !

*क्रमशः ….

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