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July 6, 2025 2:38 pm

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श्री जगन्नाथ मंदिर सेवा संस्थान दुनेठा दमण ने जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा दुनेठा मंदिर से गुंडीचा मंदिर अमर कॉम्प्लेक्स तक किया था यात्रा 27 जुन को शुरु हुई थी, 5 जुलाई तक गुंडीचा मंदिर मे पुजा अर्चना तथा भजन कीर्तन होते रहे यात्रा की शुरुआत से लेकर सभी भक्तजनों ने सहयोग दिया था संस्थान के मुख्या श्रीमति अंजलि नंदा के मार्गदर्शन से सम्पन्न हुआ

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पितृ दोष क्या होता है? : Niru Ashra

पितृ दोष क्या होता है? : Niru Ashra

पितृ दोष क्या होता है?

👉🏻 हमारे ये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं, और महसूस करते हैं, कि हमारे परिवार के लोग ना तो हमारे प्रति श्रद्धा रखते हैं, और न ही इन्हें कोई प्यार या स्नेह है, और ना ही किसी भी अवसर पर ये हमको याद करते हैं, ना ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं, तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं, जिसे “पितृ- दोष” कहा जाता है।

👉🏻 पितृ दोष एक अदृश्य बाधा है, ये बाधा पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है, पितरों के रुष्ट होने के बहुत से कारण हो सकते हैं।
👉🏻 आपके आचरण से।
👉🏻 किसी परिजन द्वारा की गयी गलती से।
👉🏻 श्राद्ध आदि कर्म ना करने से।
👉🏻 अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है।

👉🏻 इसके अलावा मानसिक अवसाद, व्यापार में नुक्सान, परिश्रम के अनुसार फल न मिलना, वैवाहिक जीवन में समस्याएं, कैरिअर में समस्याएं या संक्षिप्त में कहें तो जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति और उसके परिवार को बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

👉🏻 पितृ दोष होने पर अनुकूल ग्रहों की स्थिति, गोचर दशाएं होने पर भी शुभ फल नहीं मिल पाते।
👉🏻 कितना भी पूजा पाठ, देवी – देवताओं की अर्चना की जाए, उसका शुभ फल नहीं मिल पाता।

👉🏻 पितृ दोष दो प्रकार से प्रभावित करता है।

१👉🏻 अधोगति वाले पितरों के कारण।
२👉🏻 उर्ध्वगति वाले पितरों के कारण।

१👉🏻 अधोगति वाले पितरों के दोषों का मुख्य कारण परिजनों द्वारा किया गया गलत आचरण, परिजनों की अतृप्त इच्छाएं, जायदाद के प्रति मोह और उसका गलत लोगों द्वारा उपभोग होने पर, विवाहा आदि में परिजनों द्वारा गलत निर्णय, परिवार के किसी प्रियजन को अकारण कष्ट देने पर पितर क्रुद्ध हो जाते हैं, परिवार जनों को श्राप दे देते हैं, और अपनी शक्ति से नकारात्मक फल प्रदान करते हैं।

२👉🏻 उर्ध्व गति वाले पितर सामान्यतः पितृदोष उत्पन्न
नहीं करते, परन्तु उनका किसी भी रूप में अपमान होने पर अथवा परिवार के पारंपरिक रीति-रिवाजों का निर्वहन नहीं करने पर वह पितृदोष उत्पन्न करते हैं, इनके द्वारा उत्पन्न पितृदोष से व्यक्ति की भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति बिलकुल बाधित हो जाती है, फिर चाहे कितने भी प्रयास क्यों ना किये जाएँ, कितने भी पूजा पाठ क्यों ना किये जाएँ, उनका कोई भी कार्य ये पितृदोष सफल नहीं होने देता।

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