श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! “दीन बन्धु कन्हैया” – एक अद्भुत प्रसंग !!
भाग 1
मैया ! ओ मैया ! मैं कल क्या दूँ कन्हैया को ?
मनसुख को आज नींद नही आरही ……..कल वर्ष गाँठ है कन्हैया की …..बृज में तो कन्हैया की वर्षगाँठ अष्टमी को नही नवमी को ही मनाई जाती है । आज मनसुख को नींद नही आरही ……ये अपनी कुटिया में कहाँ सोता है ……ये तो नन्दमहल में ही पड़ा रहता है ………मैया यशोदा इस काशी वासी ब्राह्मण बालक मनसुख का बड़ा आदर करती हैं ….।
बता ना मैया ! कल क्या दूँ मैं कन्हैया को उपहार ?
अरे ! तू तो अपनें सखा को एक मोर पंख भी दे देगा ना ….तो उससे भी वो अति प्रसन्न हो जाएगा । मैया बृजरानी नें कहा ।
तू मुझे कल उपहार देगा ?
लो ! ये कन्हैया तो सोया नही था... ...अपनें सखा की सारी बातें सुन रहा था ............उठकर अपनें दोनों हाथों को मनसुख के गले में डालकर पूछ रहा है...........
तू कल मुझे उपहार देगा ?
मनसुख कुछ नही बोला……..इतना ही नही चुपके से मैया को भी चुप रहनें को कह दिया …….और स्वयं सो गया ।
अच्छा ! सो रहा है , बताएगा नही मनसुख ? पर मुझे पता है तू मुझे कल उपहार देनें वाला है ……………..
मैं तो नही दे रहा …………..इतना कहकर तान दुपट्टा सो गया था मनसुख ……..ये सोचता है ….पर इतना भी नही कि नींद ही खराब कर ले ………….कन्हैया भी सो गए थे ।
देवनाथ नाम था उन पण्डित जी का ……..माथुर ब्राह्मण थे ये …..
महाराज उग्रसेन कितना मानते थे इन्हें ………..कोई भी अनुष्ठान हो …….कोई भी पुण्य अवसर हो इन्हें ही राजमहल में बुलाया जाता था ।
पर इन दिनों ? इन दिनों तो महाराज उग्रसेन कारागार में बन्दी हैं ।
हे महाराज कंस ! वो देवनाथ ! आपके अहित और अमंगल के लिये कोई अनुष्ठान कर रहा है………कंस के लोगों नें शिकायत कर दी थी ।
पण्डित देवनाथ की पत्नी बालक “अर्जुन” को जन्म देकर स्वर्ग सिधार गयी थीं ………उस पुत्र बालक अर्जुन को पाल पोस कर देवनाथ नें ही बड़ा किया था …..बड़ा प्यार था अपनें पुत्र से…………..पर –
देवनाथ को आज उसके पुत्र के सामनें ही कंस के राक्षसों नें मार दिया था …………..तलवार से मस्तक अलग कर दिया था …………
अर्जुन की आयु इस समय 4 वर्ष की ही थी ……..वो तो मस्तक को धड़ से जोड़कर कह रहा था …….पिता जी उठिये ! पिता जी उठिये !
पर अब कहाँ उठते उसके पिता ।
वो रोता रोता मथुरा में घूमता ………..सब जानते थे कि कंस नें इसके पिता को मार दिया है ………पर कोई सहायता के लिए आगे नही आता था …कंस का भय था ……..कौन आगे आता ……!
*क्रमशः ….


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