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July 20, 2025 8:51 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! अनुष्ठान पूर्ण हुआ – “चीरहरण प्रसंग” !!-भाग 1

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! अनुष्ठान पूर्ण हुआ – “चीरहरण प्रसंग” !!-भाग 1

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! अनुष्ठान पूर्ण हुआ – “चीरहरण प्रसंग” !!

भाग 1

गोपियों का अनुष्ठान पूर्ण हुआ ……….नही नही तात ! पूर्ण नही पूर्णतम । उद्धव बोले – पूर्ण तो तब होता जब देवी कात्यायनी प्रकट होतीं और वर देंतीं गोपियों को ……..कहतीं – जाओ तुम्हे नन्द नन्दन मिलेगा ……….पर यहाँ तो अद्भुत हो गया ……..देवी प्रकट नही हुयी स्वयं नन्दनन्दन ही प्रकट हो गए ………तात ! ये प्रेम की लीला है ……पर अलौकिक है ………..हाँ देखनें में लगता अवश्य है कि सामान्य लौकिक लड़का लड़की की तरह यहाँ सब चल रहा है ……पर नही ….ये तो परब्रह्म की अपनी आत्मक्रीड़ा है ………….वृत्ति ही गोपियाँ हैं और आत्मा स्वयं श्रीकृष्ण हैं……..अपनें से अपनें खेल कर रहे हैं ………यही तो लीला है ……….उद्धव नें कहा – और आगे का प्रसंग सुनानें लगे ।


बृजांगनाओं के आनन्द का कोई ठिकाना नही है …………हाँ ठण्ड लग रही है ………..शीतल जल है और ऋतु भी तो शीत है ।

पर श्याम सुन्दर आज स्वयं आगये ……….सोचा था गोपियों नें कि कितना अच्छा हो भगवती प्रकट हो जातीं और आज वर प्रदान करतीं कि ….जाओ ! तुम्हे मिलेगा तुम्हारा प्यारा ……..पर यहाँ तो प्यारा ही आगया ………….पर –

हे श्याम सुन्दर ! हमारे वस्त्र दे दो !

यमुना जल से गोपियों नें श्याम सुन्दर को पुकारा ।

एक बार में नही सुना कन्हैया नें ……….जब दो तीन बार जोर से चिल्लाकर बोलीं ………..तब जाकर ।

मुझ से कह रही हो ? हँसते हुए बोले नन्दलाल ।

हाँ , तुमसे ही कह रही हैं ……….गोपियों नें कहा ।

हाँ , कहो ? कन्हैया चपलता कर रहे हैं ।

हमारे वस्त्र दे दो ! समस्त गोपियों नें हाथ जोड़कर कहा ।

क्या ? फिर कहना ? श्याम सुन्दर की नटखट छबि ।

हमारे वस्त्र दे दो ………बड़ी जोर से बोला था सबनें ।

इधर उधर देखनें लगे कन्हाई ………कहाँ हैं ? अरी ! कहाँ हैं तुम्हारे वस्त्र ?

ये लटके तो हैं……….गोपियों नें कहा ।

ये ? ये तो पुष्प हैं मेरे कदम्ब वृक्ष के …….रसिक शेखर मुस्कुराये ।

इतनें बड़े बड़े पुष्प ? गोपियाँ एक दूसरे को देखकर हँसी ।

और क्या ! मेरो जे कदम्ब को वृक्ष दुनिया ते निरालो है ….जामें ऐसे हीं पुष्प लगें । रसिक शिरोमणि मुस्कुरा रहे हैं ये कहते हुए ।

अच्छा ! विनोद मत करो ……..हमारे वस्त्र हमें दे दो ।

*क्रमशः ….

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