Explore

Search

August 2, 2025 2:17 am

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! जब कन्हैया नें किया बृज में चारों धामों का आव्हान !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! जब कन्हैया नें किया बृज में चारों धामों का आव्हान !!

भाग 2

बृजराज इतना कहकर चले गए …….अपनें पर्यंक में ।

मैया ! हम कहाँ जा रहे हैं ?

 कन्हैया पूछते हैं   जब  बैल गाडी में  बैठकर  नन्ददम्पति  अपनें सुत के सहित  चार धाम की यात्रा में निकल गए थे  ।

हम चार धाम की यात्रा में जा रहे हैं लाल !

कन्हैया का मुख चूमते हुए कहती हैं बृजरानी ।

बृषभ तीव्र गति से दौड़ रहे हैं ………..उनके गले में बंधी घण्टी सुमधुर ध्वनि कर रही है………..नन्द बाबा बड़े प्रसन्न हैं…….पर यशोदा मैया दुःखी हैं ………पीछे उनका वृन्दावन छूट रहा था….फिर गोवर्धन छूटने लगा…….कन्हैया देख रहे हैं अपनें बृज को ।

अब गाडी रोकोगे या आज ही चार धाम पहुँचा दोगे ?

अपनें आँसुओं को पोंछते हुये बृजरानी नें कहा ।

पर तुम रो क्यों रही हो ? बृजराज को आश्चर्य हो रहा है ।

मुझे बृज को छोड़नें का दुःख हो रहा है……….बृजरानी बोलीं ।

पर हम लोग तो तीर्थ यात्रा में जा रहे हैं ………चार धाम !

मेरे लिये तो ये बृज ही सबसे बड़ा तीर्थ है ….और चार धाम भी ।

सुबुक रही हैं बृजरानी………वो गोपियाँ , रोहिणी, दाऊ …….मेरी रसोई ……..मेरा पूजन घर …………

बैलगाड़ी रोक दी गयी थी……सामनें एक सरोवर था…….यशोदा उतरीं………”मेरे लाला को भूख लग रही है ….ये रोटी माखन खायेगा” ……कदम्ब वृक्ष के नीचे बैठ गयीं यशोदा मैया ……….सरोवर के जल से हाथ मुँह धोया……..सामनें गिरी गोवर्धन के दर्शन हो रहे हैं ……..घनें कुञ्ज हैं …….मोर , कोयल तोता सब यहीं आगये जहाँ कन्हाई थे ।

मैया ! गोवर्धन नाथ ! ……….नन्दनन्दन नें मैया और अपनें बाबा को दिखाया ।

हाँ……..फिर रोनें लगीं मैया यशोदा ………..

पर – लाला कहाँ है ? कन्हैया ! लाला !

कन्हैया भी अभी तो यहीं थे ……पर अब पता नही कहाँ चले गए !

बृजराज भी दौड़े इधर उधर …….पर कहीं नहीं हैं कन्हैया तो ।

अब तो यशोदा मैया की दशा बिगड़नें लगी…….बृजराज बाबा की भी चिन्ता बढ़ती ही जा रही थी…….दो चार ग्वाल बाल जो साथ थे वो इधर उधर भागनें लगे…….खोजनें लगे कन्हैया को ……..पर कन्हैया मिले ही नहीं ।

अब तो रोते रोते बृजरानी की दशा बिगड़नें लगी …………..

पर तभी – बाँसुरी बज उठी …………बृजरानी में मानों अमृत का संचार हो गया …….बृजराज भी अब प्रसन्न दीखे ………..

मेरे लाला की बाँसुरी ! बृजरानी ये कहते हुए दौड़ीं ……जिधर से बाँसुरी की ध्वनि आरही थी ……..उधर ही दौड़ीं ……बृजराज भी दौड़ रहे थे ……….सामनें एक घना कुञ्ज था ……….तमाल का कुञ्ज ।

वहीं बैठकर कन्हैया बाँसुरी बजा रहे हैं…………मैया और अपनें बाबा को आते देखा तो बाँसुरी फेंट में रख दी ।

बाबा ! एक बात कहूँ ? अपनें बृजराज बाबा से कन्हैया कुछ कहना चाहते हैं …………कह ना ! तेरे बाबा ही तो हैं …….कह जो कहना है ।

यशोदा मैया के तो मानों अब प्राण आगये थे , लाला मिल गया था ।

बाबा ! आप चार धाम क्यों जा रहे हो ? कन्हैया नें पूछा ।

लाला ! तेरे जन्म से पहले मैने ये बात अपनें भगवान से कही थी …….कि ” तू जिस दिन होगा बस हम चार धाम की यात्रा करेंगे” ।

कुछ देर सोचकर कन्हैया बोले – बाबा ! अगर चार धाम मैं यहीं बृज में बुला दूँ तो ?

ऐसे थोड़े ही होता है……यात्रा तो करनी पड़ती है…..बृजराज नें कहा ।

नही, सब हो जाता है ……मेरा ये लाला है ना ……..ये सबको बुला देगा ……..लाला ! बुला दे सारे तीर्थों को यहीं………हम यहीं नहा कर वापस अपनें नन्दगाँव चले जायेगे……….मुझे तो नन्दगाँव की याद आरही है ………बृजरानी कहनें लगीं ।

तू कैसे बुलाएगा तीर्थों को यहाँ ? बृजराज बाबा नें पूछा ।

बाबा ! तीर्थों के अधिदैव को मैं यहाँ बुला लूँगा……..और उन अधिदैव के कारण ही तो तीर्थ तीर्थ हैं………कन्हैया बोले ।

अच्छा ! बुला ले फिर ! बाबा बृजराज क्या कहते ।

नेत्रों को बन्दकर आव्हान करनें लगे चार धाम के अधिदैवों को ।

बद्रीनाथ ! आप मेरे बृज में पधारिये !

श्रीकृष्ण संकल्प करें तो क्या नही हो सकता ……इनके संकल्प से ही तो सब कुछ है……..और फिर तीर्थों को प्रेमपूर्ण निमन्त्रण ……वो भी स्वयं नन्दनन्दन का ।

बद्रीनाथ पधारे……अलकनन्दा की धारा बह चली……..

केदार नाथ आप भी पधारें ! पर्वत खड़ा हो गया देखते ही देखते ……….उसमें केदार नाथ महादेव प्रकट हो गए थे…….पर्वत के नीचे मन्दाकिनी बह रही थीं ।

यमनोत्री और गंगोत्री की धारा प्रकट हुयीं वहीं पर……..

बाबा ! ये रहे आपके चारों धाम …….अब आपको कहीं जानें की आवश्यकता नही है……..आप इन्हीं जल की धाराओं में स्नान कीजिये और दर्शन किजिये बद्री नाथ भगवान के …..केदार नाथ भगवान के …..

लाला ! देख !

बृजरानी एकाएक बोल उठीं …….जैसे ही कन्हैया नें मुड़कर देखा नभ की ओर…… ओह ! भारत वर्ष के जितनें तीर्थ थे सब हाथ जोड़कर खड़े हैं….हे नन्दनन्दन ! अपनी बृजभूमि में हमें भी वास दो ।

मुस्कुराके कन्हैया बोले – स्वागत है आप सब का मेरे बृजमण्डल में ।

रामेश्वर , प्रयागराज, काशी, अवन्तिका , पुरी और सारी पवित्र नदियाँ ………..सब की सब बृजभूमि में उतरीं ……….

बाबा ! मैया ! आप स्नान करें ………….समस्त तीर्थ अब आपके बृज में ही हैं ………बृजराज बाबा नें अपनें नेत्रों से ये सब प्रत्यक्ष देख लिया ……..तीर्थों नें कन्हैया को प्रणाम किया ये भी देखा था …….

अब तो आनन्दित होकर बृजराज बाबा नें और बृजरानी मैया नें स्नान किया ….और सारे तीर्थों से यही माँगा कि “मेरो लाला चिरजीवी रहे” ।

तात ! इस तरह से बृजरानी और बृजराज बाबा अपनें लाला के साथ वापस लौट आये थे अपनें नन्दगाँव में , रात्रि तक ।

उद्धव नें ये प्रसंग सुनाया विदुर जी को ।

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements