Explore

Search

August 1, 2025 11:34 am

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! कामदेव का दिग्विजय – “अथःरासपञ्चाध्यायी” !!-भाग 1: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! कामदेव का दिग्विजय – “अथःरासपञ्चाध्यायी” !!-भाग 1: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! कामदेव का दिग्विजय – “अथःरासपञ्चाध्यायी” !!

भाग 1

विश्व का सुन्दरतम स्थल है ये जहाँ बैठकर श्रीकृष्णलीला का गान हो रहा है ……श्रोता विदुर जी जैसे परमभागवत हैं ……..और वक्ता श्रीकृष्ण के ही दयित सखा उद्धव जी हैं …..और स्थान ! सुन्दरतम स्थान श्रीधाम वृन्दावन है ।।………अन्तःकरण पवित्र था ही विदुर जी का …..किन्तु श्रीकृष्ण लीलाओं का आस्वादन करते करते और पवित्रतम हो उठा है ………या यूँ कहूँ कि ……..अन्तःकरण अब श्रीकृष्णमय ही हो गया है…..श्रीकृष्ण , श्रीकृष्ण ….जल, थल, नभ, सबकुछ श्रीकृष्णमय है …………आहा !

इसलिये तो अब “रास प्रसंग” उद्धव सुनानें जा रहे हैं विदुर जी को ।

क्यों कि बिना अन्तःकरण पवित्र हुये रास का अधिकारी कोई जीव हो ही नही सकता ……ये प्रेम की ऊँचाई है ……।


तात ! कामदेव दिग्विजय के लिये निकला है ।

देवों को पराजित किया इसनें प्रथम ………असुर तो पराजित थे ही ……पर देवता जब इससे हार माननें लगे ……तब इसका साहस और बढ़ा ……..विधाता ब्रह्मा को ही इसनें चुनौती दे डाली……और मात्र चुनौती नही……पराजित भी किया ।

उद्धव बोले – फिर इसके बाद कामदेव नें दूसरा लक्ष्य चुना …..महादेव को …….भगवान शंकर को ।

समुद्र मन्थन करके अमृत तो निकाल लिया देव और असुरों नें ……..पर उस अमृत को पीयेगा कौन ? असुर, देवों को अमृत का कलश देंगे नही …..फिर देव कैसे पीयें अमृत ?

भगवान नारायण देवों का ही पक्ष लेते आये हैं…….तो आज भी लिया ।

मोहिनी बन गए…….अत्यन्त सुन्दर मोहिनी ……विश्व विमोहिनी मोहिनी ……..असुर मुग्ध हो गए ………अपनें आपको ही विस्मृत कर गए ……….परिणाम ये हुआ कि ……मोहिनी के कोमल करों में अमृत का कलश दे दिया था असुरों नें ।

देवों को क्यों न पिलाऊँ पहले अमृत ? मोहिनी नें मटकते हुए असुरों से ही पूछा ……..वो मोहिनी के कटाक्ष से मोहित थे । …….सुन्दरी ! पर इससे लाभ ? अमृत का पानी जो ऊपर रहता है …….जिसमें कोई सार नही है ……..गाढ़ा तो तल में है …….उसे मैं तुम्हारे लिए रख देती हूँ …..और ऊपर का पानी इनको पिला देती हूँ …………

अमृत का पानी और गाढ़ा क्या होता है …..अमृत तो अमृत ही है सब ।

भगवान असुरों से छल करते हैं …….देवों को अमृत पिलाकर अंतर्ध्यान हो जाते हैं ।

हँसा कामदेव , मेरा प्रभाव सर्वत्र है ……..कौन बचा है मुझ से ।

अब ? कामदेव नें लक्ष्य रखा……….भगवान शंकर ।

*क्रमशः…
*शेष चरित्र कल –

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements