“महा महिनाना महापर्व अेवा महाशिवरात्रीनी हलवदी तेरस ना ५३२ मां तोरण तीथी दिवसनी हादिँक शुभकामना”
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झालावाडनुं पाटगढ कंकावटी हतु, अेना उपर सुलतान मोहम्मद बेगढाअे वि.स १५४३ मां चडाय करी, त्रिजी चडाय करता सुलतान श्री मखवाहन सिध्धसेना सामे टकी शक्यो नही अने कारमी हार थय छताय जगख्यात दु:खद बनाव अेवा “कुवाना कहेर” ना कारणे कुवा कंकावटीनी राजधानी राजश्री राजोधरजीअे तेमना भाइयो साथे त्वजी देवी पडी अेमने पकडवा सल्तनतना माणसो आखी झालावाडमां छेक मच्छुनी ओली बाजु फरी वळ्या पण कुंवरो मळ्या नही राजोधरजी मातृतपँण करवा सिध्धपुर पाटणे पधार्या हता सूलतान मोहम्मद बेगडानी क्रुरताथी त्रासेली प्रजाऐ अेमने आवकार्या अने छानी रीते राख्या, राजोधरजी राज पोते शिवभक्त हता वहेली सवारे सरस्वती नदीमां स्नान करता अेक दिव्यतेजोमय शिवलिंग प्राप्त थयुं अे शिवलिंगनी पोते नित्य पूजा करता अेमनी भक्तिथी प्रसन्न थय देवाधिदेव महादेवे अेमना मुळपुरुष इशान अंशावतार बापा हरपालदेवना रुपे दशँन दय स्वदेश पाछा फरवाना संकेत दीधा शुभ संकेतोऐ श्रीराज राजोधरजी सिध्धपुर पाटणथी अेमना गुरु, ब्राह्मणो साथे अनेक जातीना शूरविर साहसिक युवानोने लयने झालावाड पाछा वळ्या जेमना वंशजो हळवद तेमज फरता गामोमां विद्मान छे, राजोधरजीअे नवुं पाटगढ स्थापवा सारा स्थळनी शोध आदरी अेवामां अेक सांजे पोताना दरबारीओ साथे शिकारे निकळेला राजोधरजीना घोडानी सामे ससलु थयुं जे सिध्धपुरना संकेतने साकार करवा राजोधरजी अंही पाटगढ स्थापवानुं नक्की कर्युं, अे समये अंही नानु तलावडु, हलादीनाथनी जग्या (समाधी होय शके) अने आ क्षेत्र नुं नाम “हलवध क्षेत्र ” हतु
वि.स १५४४ महा महिनाना महापर्व अेवा महा शिवरात्रीने तेरसना दिवसे वैदीक मंत्रोचार करी पृथ्वीनी पूजा करीने पोतानो उतराभिषेक कराव्यो अे पछी हळवदना टोडे तोरण बांधी भालेथी छबीने झालावाडनुं पाटगढ स्थाप्यु
श्री सरस्वती नदीमांथी प्राप्त थयेल शिवलिंग के जे शरणे आवेला ने औश्वर्य अपावे छे अेवा शरणेश्वर महादेवनी स्थापना करी पोतानुं राज शरणेश्वर महादेवना चरणोमां अपणँ कर्युं
श्रीराज राजोधरजीना पुत्रवधु पाटोधराराणी कल्याणदेअे अेमना कुंवर मानसिंहजीना वट्टकाळमां शरणेश्वर महादेवना प्रांगणमां अेक सुंदर जलमंदिर (वाव) बंधावी जे कल्याणी वाव तरिखे ख्यात छे, अेमानो शिलालेख उतरभारतमां अपूवँ मनाय छे, कारण के आ शिलालेखमां राजाओनी सात पेढीओ साथे पट्टराणीओना नामो रुढीसर वरताय छे
शरणेश्वर महादेवनी जग्या अने अेना मंदिरनो इतिहास गुजरातना अन्य देवस्थानोनी जेम छे, आ स्थान वारंवार विधर्मिओ द्वारा खंडित थय जिर्णोध्धार थया छे
पाटगढ हळवदने ५०० वषँ पूरा थता दिवंगत महाराजा श्रीराज मेघराजजी बावाना समयमां झाला, झालावाडीयौ अने झालावाडवासीओना संयुक्त उपक्रमे “तोरण वास विधान” विधी करी महाउत्सव मनाव्यो हतो, अेज परंपराना अविरत धोधने चालु राखवा ता. ०१. ०३. २०२२ ने मंगलवार महाशिवरात्रीना दिवसे पाटगढ हळवद ना ५३४मां तोरण तीथी दिवस पर श्री झालावाड क्षत्रिय समाज, श्री हळवद ध्रांगधरा क्षत्रिय समाज तथा श्री हळवद स्थापना महोत्सव समिती द्वारा धमँप्रेमीओ, इतिहास अने संस्कृतिने जाळववा मथता तमाम ने पधारवा हादिँक निमंत्रण छे – अस्तु – जय सौराष्ट्र – जय झालावाड – जय जय शरणे आवेलाने औश्वर्य आपनारा शरणेश्वर महादेव
➡️ लेखन संपादक -: राणाश्री किशोरसिंह झाला ओफ कंथारिया (इतिहास संशोधन संपादक श्रीराज धाम ध्रांगधरा तथा इष्टदेश झालावाड इतिहास संशोधन चेरीटेबल ट्रस्ट)
फोटो संदभँ -: श्रीराज धाम ध्रांगधरा
माहिती संदभँ -:
(1) श्री झाला राजवंशना वहिवंचा बारोटश्रीनी मुळवही<
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(2) बड
वा पातलजीकी ख्यात
(3) मावदानजी की ख्यात
(4) वि. स १५४२ ना झाला राजवंशना तिथँगोर पुरसोतमजी दासजीनी वही
(5) देश्य इतिहास कक्षानी १९९३ नी तात्पूर्ती नोंध
(6) कोंढ पूराण संग्रह
(7) गुजरातनो राजकीय अने सांस्कृतिक इतिहास भाग – 5

Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877








