श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! विरहाकुल यशोदा मैया !!
भाग 2
अरे ! मेरा माखन निकालना तो व्यर्थ चला जायेगा …………..देखो ना ! मैने अपनें हाथों से माखन निकाला है……….बहुत दिन से मैने भी नही निकाला था ……….अब किसके लिये निकालती ?
एकाएक हिलकियों से रो पड़े बृजपति……………..इस तरह कभी रोते हुये यशोदा नें भी नही देखा था ……………
आप रो रहे हो ? क्या हुआ ? बोलो ना ! क्या हुआ ?
यशोदा घबड़ाकर पूछ रही हैं अपनें पति नन्द से ।
“कन्हैया हमारा पुत्र नही है वो वसुदेव का पुत्र है”
रोते रोते वहीं बैठ गए नन्दबाबा ।
किसनें कहा आपसे ये सब ? बोलिये ! किसनें कहा आपसे ?
यशोदा चिल्ला उठीं ।
सब झूठे हैं मथुरा के लोग …….ये नगर के लोग झूठे होते हैं ……….उनकी बातों में आपनें विश्वास कर लिया ?
कैसे पिता हैं आप ? आपको ? आपको ये पता नही कि कन्हैया आपका पुत्र है !
अच्छा ! अच्छा बताइये कन्हैया कहाँ हैं ? छोड़िये ये सब बातें कन्हैया कहाँ है ये बताइये ? यशोदा पूछ रही हैं ।
वो नही आया ! नन्द बाबा नें हिम्मत जुटा कर कह दिया ।
क्या ! वो नही आया ? गिर गयीं धड़ाम से यशोदा मैया ।
बृजराज नें सम्भाला यशोदा को ……..आप आगये ? आपका आने का मन किया ? आपका हृदय फट नही गया ?
यशोदा के मुख से ऐसी वाणी ! अपनें पति के सामनें ये कभी ऊँची आवाज में नही बोलीं ………..नाम नही लिया कभी पति का ……और आज ये ………….बृजपति समझ रहे हैं ममता कि इस मूर्ति को ………कितना आघात लगा होगा इस मैया के हृदय में ……..जब इसका बेटा नही आया ………..और आनें के सम्भावना भी अब कम ही थी ।
यशोदा ! यशोदा ! बृजराज नें सम्भाला यशोदा मैया को ।
यशोदा ! मैं तो उसी समय मर जाता…..जब मैने सुना कि कृष्ण मेरा बालक नही है …..और सच कह रहा हूँ ……..मैं अभी भी मर जाऊँ तो मुझे सुख ही मिलेगा…..पर तेरे लाला नें कहा है ……..वो आएगा ।
“वो नही आएगा”……….यशोदा बिलख उठीं ।
सुनिय ना बृजराज ! आप तो इस बृज के राजा हैं ……….मुझे आज्ञा दें मुझे बहुत कष्ट हो रहा है……..मैं मरना चाहती हूँ ……इस देह को त्यागना चाहती हूँ ……….मुझे मरनें की आज्ञा दें !
हाथ जोड़ रही हैं बृजरानी …….और मरनें की बात कह रही हैं ।
रोते हुये यशोदा को सम्भाल रहे हैं बृजराज ……..यशोदा ! कन्हैया नें कहा है ……..वो आएगा ! और यशोदा अगर तुम मर गयीं तो मैं भी मर जाऊँगा ……….फिर हमारा लाला आएगा और जब देखेगा कि मेरे बाबा और मैया नही रहे ……तो सोचो उसे कितना कष्ट होगा ना !
ये सुनते ही यशोदा कुछ सोचनें लगीं ………हाँ, लाला को कष्ट होगा वो मुझे कितना प्यार करता है …..मैया! मैया ! मैया ! हर समय वो यही बोलता रहता था ……….आँसुओं को पोंछकर एकाएक खड़ी हो जाती है यशोदा मैया ! रोहिणी! मैं मर भी नही सकती !
जीजी ! ऐसा मत कहो …………..रोहिणी भी बिलख उठीं ।
और क्या कहा मेरे लाला नें ? यशोदा पूछती हैं ।
मेरी मैया को सम्भालना बाबा ! मैं आऊँगा ! ये कहा ।
उसनें कहा मैं आऊँगा ? यशोदा एकाएक हँसनें लगती हैं ……..वो आएगा ! रोहिणी ! मेरे लाला नें कहा है वो आएगा ।
पर वो अकेला कैसे आएगा ? हम जायेगे उसे लेनें ……..हाँ , हम जायेगे ! मैं जाऊँगी ………..देवकी के पैर छूकर कहूँगी ……..लाला को वृन्दावन ही रहनें दे ……….देवकी ! मैं तुझ से बड़ी हूँ मेरी बात मान ………मेरे लाला को मुझ से मत छीन ………..मैं उससे कहूँगी ……..वो मानेगी मेरी बात ! कहिये ना आप ! देवकी मानेगी ना मेरी बात !
आप बोलते क्यों नही ! बोलिये ! यशोदा चीखती हैं ……….
उफ़ ! विदुर जी ! क्या सुनाऊँ बृज की बात !
ये कहते हुए उद्धव भी रो पड़े ।
शेष चरित्र कल –
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