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December 4, 2024 8:25 am

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दादरा नगर हवेली एवं दमन-दीव क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्री दुष्यन्त भाई पटेल एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपेश टंडेल जी के नेतृत्व में संगठन पर्व संगठन कार्यक्रम दादरा नगर हवेली के कार्य पाठशाला का आयोजन किया गया.

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! बृजरानी का विचित्र उन्माद !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! बृजरानी का विचित्र उन्माद !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! बृजरानी का विचित्र उन्माद !!

भाग 1

सुनिये ! वो प्रसन्न तो है ना ? उसे क्या इस मैया कि बिल्कुल याद नही आती ? आएगी, क्यों नही आएगी ! सुनिये ! उसे भूख लगती है तो वो कहता तो है ना देवकी से ? बड़ा संकोची है वो ……..दूसरों को भूखा देखकर अपना भाग भी दे देता है और स्वयं भूखा रह जाता है ………..उसका पेट दवाकर देखती तो है ना देवकी ? मैं देखती थी ………वो थोडा खाता था फिर कहता पेट भर गया है मेरा ……..मैं कहती – पेट दिखा तो हँसनें लग जाता ……….मैं उसका पेट दवाती थी तो उसे गुलगुली लगती ……….वो हंसते हंसते लोट पोट हो जाता था ।

बृजरानी को नींद नही आरही …………अब इस मैया को नींद आएगी भी नही …………बृजराज शून्य में तांक रहे हैं ।

“मेरे प्राण अगर छूट गए तो” ……………बृजरानी नें इतना क्या कहा ……..बृजपति नन्द नें उनका मुँह बन्द कर दिया ……..ऐसे मत बोलो !

विचित्र उन्माद चढ़ रहा है यशोदा मैया को …………..

मैं भूत बन जाऊँगी ………….नही नही भूत नही भूतनी ……..फिर हंसती हैं जोर से हंसती हैं, हंसी मैया की डरावनी लग रही है आज ।

भूतनी बनकर मथुरा जाऊँगी ……………फिर कुछ देर चुप हो जाती हैं ….सोचती हैं ………नही नही डराऊंगी नही लाला को……बस लाला के आस पास में ही रहूँगी ………….उसे कोई दुःखी करेगा ना तो उसे डराऊंगी ………पर मैं अपनें लाला को देखती तो रहूँगी ना ! फिर उसके वस्त्र उसके खानें पीनें की व्यवस्था सब करती रहूँगी …………

यशोदा मैया की ये सब बातें सुनकर नन्दबाबा रो पड़े ………

सुनिये ना ! कुछ देर बाद फिर बोलनें लगती हैं यशोदा …….

मुझे मथुरा ले चलिये …………..एक बार जाना चाहती हूँ ………मुझे देखना है अपनें लाला को ……………वो कैसे रहता है …..कैसे खाता है …..देवकी को पता भी नही होगा ना ……….कि मेरे लाला को किस समय किस वस्तु की आवश्यकता होगी ……….उसे क्या पता !

मैं जाऊँगी मथुरा ……….हाँ, रहूँगी नही ……रात में लौट आऊँगी ……..

फिर कुछ सोचकर कहती हैं मैया…….मैं कुछ दिन तो रह सकती हूँ ना मथुरा में………लाला के कक्ष में ही रह जाऊँगी ………नीचे बिस्तर लगाकर सो जाऊँगी……..उसको रात भर देखती रहूँगी …..दिन भर उसकी हर वस्तु का सम्भाल करूंगी ।

वैसे भी मैं सेविका ही तो हूँ…….माता तो देवकी है……मैं तो धाय हूँ ……बस देवकी के पुत्र का सम्भाल किया है मैने……बाकी मैं हूँ क्या ?

यशोदा बोलती रहीं बृजराज सुनते रहे और रोते रहे ………………पूरी रात ऐसे ही रोते हुये बीत गयी थी ……………….बृजराज उठे ……सूर्योदय होनें को आया ……….ओह ! ब्रह्म मुहूर्त का समय बीत गया ……..यशोदा ! मैं यमुना स्नान करके आता हूँ ।

नन्द बाबा चले गए थे यमुना स्नान करनें ।


अरे ! कोई रथ आ रहा है ………..सुवर्ण का रथ है ……..और वही रथ है जिसको लेकर अक्रूर आया था ………यशोदा बाहर ही बैठती हैं आज कल ……और उनकी दृष्टि मथुरा के मार्ग में ही रहती है ।

क्रमशः …
शेष चरित्र कल –

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