बीमारियां कैसे आती हैं?
शरीर हमें बताता है !
अपने आंसुओं को भींच लेने से..
कड़वी बातों को चुपचाप निगल जाने से…
अपनी जुबान को बंद रखने से…
अपने दिल के दरवाज़े पर सांकल लगाने से…
लेकिन शरीर तो बोलता है
ओह, शरीर जरूर बोलता है …
टेबल की सतह को थपथपा कर
बेचैन पैरों की हरकत से बोलता है..
गले में रूंध गई आवाज से बोलता है.
दिमाग़ पर माइग्रेन के हमले से बोलता है..
आंतों में भर गई हवा से बोलता है..
माथे पर तनी हुई लकीरों और सलवटों से बोलता है..
अनिद्रा और अतिनिद्रा से बोलता है..
अपनी आवाज पर लगाम लगा सकते हो आप
पर भीतर संवाद शुरू हो जाता है
हम बीमार इसलिए होते हैं..
क्योंकि न पचने वाले रेशों को
दिल में समेट कर रख लेते हैं..
दर्द हमेशा हमेशा के लिये हमारे साथ रहने के लिए नहीं आया है
वह तो सिर्फ़ एक अर्द्ध विराम है, पूर्ण विराम नहीं !
इसलिए लिखो !
कुछ भी लिखो ।
डायरी लिखो
अंतर्मन मे जो उठता हो लिखो
कोई कविता लिखो
एक गीत गाओ
अपने से बात करो
पेड़-पौधों से बात करो..
अपने कुत्ते से बतियाओ
कुछ नहीं तो आसमान की ओर देखकर चिल्लाओ
बस चुप मत रहो
आपने जो झेला
अगर उसे निगल लिया
तो डूबने के अलावा कोई रास्ता नही बचेगा आपके पास
आखिर आपका दिल एक गोदाम, एक कबाड़खाना तो नहीं है न, दोस्तो!
और शरीर यह जानता है
इसीलिए बोलता है !!
love yourself first please ✨🙏✨


Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877