Explore

Search

September 13, 2025 11:48 pm

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!!नन्दबाबा के अश्रु – “उद्धव प्रसंग 11” !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!!नन्दबाबा के अश्रु – “उद्धव प्रसंग 11” !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! नन्दबाबा के अश्रु – “उद्धव प्रसंग 11” !!

भाग 2

उग्रसेन सुखी होंगे अब ……………जैसे ही नन्द बाबा नें फिर ये बात पूछी ………..बेचारी मैया का धैर्य जबाब दे गया था ………….आप को क्या मतलब है उग्रसेन से या वसुदेव से …………आप कन्हैया के बारे में क्यों नही पूछते ? अरे ! मथुरा सुखी रहे या दुःखी पर पूछो ना कि हमारा कन्हैया क्या कहता है ! वो सुखी है ? वो खाता है ? उसे मथुरा में नींद आती है ? उसे पेट भरकर कोई खिलाता है ? देवकी उसका ध्यान रखती है ? मैया यशोदा नें जैसे ही ये सब पूछा ………….नन्द बाबा का कण्ठ भर आया ……….वो कुछ बोल नही पा रहे थे ………उनका रोम रोम उत्थित हो रहा था ।

अश्रु धारा बह चली थी …………..मानों ऐसा लग रहा था कि अपनें भीतर इन्होनें अश्रुओं को रोक लिया था ………..जब उन्हें अवसर मिला तो वो बह चले थे ………।

कैसा है मेरा कन्हैया ! उद्धव ! मैं क्या कहूँ ……..इस बृज को उसनें ही बचाया था ………..इन्द्र नें कोप किया तब अपनी ऊँगली में गोवर्धन को उसनें धारण किया था ……….कालीय नाग यमुना जल को दूषित कर रहा था अपनें कन्हैया नें उसे नथ कर फेंक दिया ….यहाँ के समस्त बृजवासियों को उसी नें जीवन दिया है ………..पर आज हम सब उसके बिना जैसे जल बिन मछली हो जाती है वैसे ही हो गए हैं ! मरना चाहते हैं पर मर भी नही सकते ………क्यों कि वो कब बृज में आजाये इसी आस में हमारे स्वांस चल रहे हैं ………….वो आजाये और हमें न पाये यहाँ, तो उसे दुःख होगा ना ! इसलिये हम लोग जीवित हैं नही तो मर जाते कबके ।

नन्दबाबा रो रहे हैं ………..मैया उठ खड़ी हुयी है ………..अपनें पति को इस तरह हिलकियों से रोते हुये उसनें भी नही देखा था ………..अकेले में रोते होंगे …….पुरुष हैं ……सबके सामनें रो भी नही सकते ……पर आज इनके भीतर जो भरा हुआ था ……वो बह रहा था ……..उफ़ !

कैसा है मेरा श्याम ? उद्धव ! बता कैसा है मेरा नीलमणी ?

नन्दबाबा आँसुओं को पोंछते हुये पूछ रहे हैं ।

ऐसा विरह ! तभी तो मेरे नाथ मथुरा में रहकर भी इनके लिये रोते हैं ।

अब मैं समझ रहा था ……..पर समझना मात्र नही है ……इन्हें इस विरह सागर से उबारना भी है ।

वो स्वस्थ तो है ना ! प्रसन्न है ना ! सुखी है !

नन्दबाबा रोते जा रहे हैं और पूछते जा रहे हैं ।

कभी वसुदेव उसके पास बैठते हैं ? देवकी पूछती है – भूख लगी ?

“पूछना नही है……उसे देना है”…….यशोदा मैया बोल उठीं थीं ……..सुन रहे हैं आप ! आपको तो पता है ना ………बिना खाये वह दो दो दिन तक भी रह जाता है …..पर कहता नही है कि मुझे भूख लगी है …..सुन उद्धव ! देवकी को कहना ……..मैं तो धाय माँ हूँ उसके बेटे कि …….असली माँ तो वही है ………..पर – लाला का सम्भाल करे देवकी ………राज पाठ में उलझ कर कहीं लाला को भूल न जाए ……..उसको जल के लिए भी पूछते रहना पड़ता है ।

ओह ! मैं क्या कहूँ अब ? मेरी बुद्धि चकरा गयी थी ……….मैं कुछ समझ नही पा रहा था मेरे नाथ नें मुझे यहाँ भेजा ताकि मैं इन लोगों को समझाऊँ ! पर क्या कहकर समझाऊँ ?

मैने देखा नन्दबाबा सुबुक रहे हैं ……. मैया की हिलकियाँ शुरू हैं ।

क्या कहूँ मैं ? शब्दों का धनी मैं ………पर आज मेरे पास शब्द नही हैं ………शब्दों का कैसा अकाल पड़ गया मेरे पास ! मैं तो ज्ञानी था विद्वान् था ………पर ………ओह !

उद्धव की बैचैनी बढ़नें लगी थी ।

शेष चरित्र कल –

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements