Explore

Search

September 13, 2025 9:58 pm

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! ऊधो ! तू ना समझे प्रीत – “उद्धव प्रसंग 23” !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! ऊधो ! तू ना समझे प्रीत – “उद्धव प्रसंग 23” !!-भाग 1  : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! ऊधो ! तू ना समझे प्रीत – “उद्धव प्रसंग 23” !!

भाग 1

तात ! एक सामान्य प्रेम में भी प्रिय की आशा दुस्त्यज हो जाती है …..फिर ये तो श्याम सुन्दर के साथ हुआ प्रेम था ….नियम ही बदल जाते हैं इस प्रेम के पन्थ में ………..मुझे पता नही था तात ! उद्धव विदुर जी को ये प्रसंग सुनाते हुये बोले थे ।

जैसे ? विदुर जी पूछते हैं ।

जैसे – तात ! आशा ही दुःख का कारण है …….पर प्रेम के पन्थ में आशा ही सबकुछ है ……..आशा कैसे छोड़ दे प्रेमी …….क्यों की आशा में ही उसके स्वांसा टिके हुए हैं ………”मथुरा से मैं शीघ्र आऊँगा” ये जो बात कही थी श्रीकृष्ण नें ….और कहकर वो चले तो गए पर यहाँ ! यहाँ तो वृन्दावन का कण कण उसी आशा में जीवित था ।……अहो ! प्रेम !

कुछ देर मौन रहनें के बाद उद्धव आगे का प्रसंग सुनानें लगे थे …

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements