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July 20, 2025 12:47 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! ज्ञान बह गया अश्रुओं में – “उद्धव प्रसंग 25” !!-भाग 2: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! ज्ञान बह गया अश्रुओं में – “उद्धव प्रसंग 25” !!-भाग 2: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! ज्ञान बह गया अश्रुओं में – “उद्धव प्रसंग 25” !!

भाग 2

मैया ! मैं बरसानें जाऊँगा ! मैने हाथ धोते हुये मैया से कहा था।

पर अब तो रात हो रही है…..सुबह चले जाना…….मैया का कहना था ।

नही ……..मुझे आज बरसानें जाना है …..नीरव रात्रि में बरसानें के कुञ्जों और सरोवरों का सौन्दर्य मुझे देखना है ………..वहाँ मेरे स्वामी नें विभिन्न लीलाएँ की थीं ……है ना मैया !

तू भी उसी का सखा है ……..वो भी जिद्दी था ………तो तू जायेगा बरसानें ? जा ! मैया यशोदा नें मुझे जानें की आज्ञा दी ।

पर देखते जाना….तेरा बाबा अभी तक आया नही है…..

……मैया सचिन्त थी ।

मैं गया गौशाला में बाबा को ढूंढनें ……….पर वहाँ कोई नही था रात हो गयी थी ………मैं वहाँ से निकलनें ही वाला था कि……. मुझे रोनें की आवाज आयी ……..कोई सुबुक रहा था …….मैं दवे पाँव जब गया वहाँ ……ओह ! वो दृश्य मैने देखा ………बाबा नन्द हिलकियों से रो रहे थे ……..लाला ! लाला ! लाला! बस उनके मुख से यही शब्द निकल रहे थे …………मैने उन्हें इस तरह देखा नही था ……..मैं उनके पास गया …….तो मुझे देखते ही उन्होंने अपनें आपको सम्भाला ……आँसु तुरन्त पोंछें ।

उद्धव ! चलो भवन में …….आज थोडा विलम्ब हो गया मुझे ……..गौ इन दिनों अस्वस्थ रहती हैं …………नन्द बाबा इतना बोलकर नजर चुराते हुए आगे चल दिए थे ।

बाबा ! मैने उनकी चादर पकड़ी ।

खड़े खड़े बाबा बिलख उठे………”ऐसे ही लाला भी चादर पकड़ कर खींचता था” ।

मैने देखा बाबा को ………….बाबा फिर रो पड़े थे ।

उद्धव ! यशोदा तो रो लेती है ……..पर मैं तो रो भी नही पाता …….रो लूँ तो कुछ हल्का हो जाऊँ …..पर बृजराज ही रोयेगा तो इस बृज का क्या होगा ! इसलिये …………बाबा इतना बोलकर भवन की ओर चल दिए…………बाबा के अंदर कितनी विरहाग्नि धधक रही थी…. इसका मैने अनुभव किया था ………ओह !

बाबा ! मैं बरसाना जा रहा हूँ ………मैने कहा ।

इतनी रात में ? बाबा नें प्रश्न किया ।

मैं कुछ उत्तर देता बाबा बोल पड़े …….मैया से पूछ लिया ?

हाँ , हाँ बाबा ! मैने शिशुवत उनको उत्तर दिया ….शिशु ही तो था मैं भी इनका ……………..

हाँ , मेरे मना करनें से तू मानेगा थोड़े ही …….तेरे सखा नें कहाँ मानी हमारी बात ! जा ! नन्दबाबा इतना कहकर चले गए अपनें भवन की ओर ।

मैं बरसानें जा रहा था अब ………

शेष चरित्र कल –

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Author: admin

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