बुध चंद्र युति
एक पोस्ट में हमारे द्वारा बुध के संबंध में लिखा था thief with flute. हिंदी में इसका अर्थ है चोर के साथ बाँसुरी या अर्थ संदर्भ में चोर जो बाँसुरी बजाता है। कुछ ज्योतिर्विद मित्रो को ये सूक्त समझ मे आया और कुछ के सिर के ऊपर से निकल गया होगा। देखते है इस वाक्य का क्या अर्थ था और बुध कब चोर है और कब बाँसुरी बजाता है??
1.. .बुध को वायु का कारक माना गया है। वार्तालाप के शब्दों का दूसरे व्यक्ति तक पहुचने के लिए वायु की मध्यस्थता आवश्यक है। बिना वायु की मध्यस्थता के किसी के द्वारा बोले गए शब्द दूसरे व्यक्ति तक नही पहुँच सकते। इसलिये बुध को वार्ता, शब्द सम्प्रेषण, संचार वाणी आदि का कारक माना गया है। इसलिये वायु अथवा हवा जब धीरे धीरे चलती है तो लय में चलती है। इसी लय को संगीत भी कहते है। पूरब से चलने वाली हवा तो कवियों, लेखकों की कल्पना का सोपान बना है। पुरबा सुहानी आयी रे, जैसे गीत का भी जन्म होता है। हवा जब तूफान, आंधी का रूप धारण करती है तो सांय सांय की ध्वनि उत्पन्न होती है, अर्थात संगीत उत्पन्न होता है। इसलिये बुध को संगीत का कारक, माना गया है। इसलिये बुध जातक मूल रूप से संगीत, गायन कविता आदि में गहन रुचि रखता है।
2….हवा क्षण प्रतिक्षण अपना रूप बदलती है। धीरे धीरे चलती हवा कब रूप बदलकर, तूफान, अंधड़, में परिवर्ती हो जाएगी कोई नही कह सकता। “हवा का रुख बदलते देर नही लगती, एक पुरानी कहावत है”। हवा के गिरगिट समान रूप बदलने से वो लोगो को प्रकृति, को विस्मय में डाल देती है, इसलिये ठग की संज्ञा प्राप्त करती है। अर्थात वाणी में मिठास दिमाग मे कुछ और विचार। इसीलिये sales man, agent, broker, banker आदि का बुध कारक बन जाता है।
3…. जब तेज अंधड़ आता है तो अंधड़ के साथ उठा चक्रवात सूर्य को ढक लेता है। सूर्य की किरण पृथ्वी पर नही पहुच पाती। इसे सूर्य की किरण चुराना कहते है। इसलिये बुध चोर है।
4…. बुध एक मात्र ग्रह ऐसा है जिसके तल पर तापमान कभी अचानक बहुत ज्यादा हो जाता है तो कभी अत्यधिक न्यूनतम।अतः बुध प्रकृति में अस्थिर है। इसलिये बुध जातक अस्थिर अथवा एक से दूसरे चीज या कार्य पर भटकता रहता है।बुध की गति तीव्र व अस्थिर होती है। कभी ये सूर्य के सामने तो कभी सूर्य के पीछे। अत्यंत अस्थिर गति होने के कारण खगोल शास्त्र में एक लंबे समय तक बुध की सही स्थिति ज्ञात नही हो सकी थी। बुध की इस अस्थिर गति के कारण ही उसे चंचल प्रवर्ति का माना गया है और लगातार लुका छुपी के कारण भी उसे चोर संज्ञक कहा गया है।
5… बुध वैवाहिक संबंध के बाहर के संबंध से उत्पन है अतः सदैव विवाह पूर्व या विवाह उपरान्त भी संबंध बनाने को आतुर रहता है।
6…चंद्र जल का कारक है, जल में हर समय तरंग उठती है अतः मन चंचल व विचार रूपी तरंग का घर है।
7….जल(चंद्र) पर जब हवा(बुध) गुजरती है तो लहरे और तरंग तीव्र हो जाती है। इसलिये बुध चंद्र की युति एक तरह से भावनात्मक भूचाल की सूचक होती है।
8….चोर अथवा ठग(बुध) जब मन (चंद्र) से मिलता है, जातक स्वाभाविक रूप से ठगी, चोरी की भावना रखता है। 9…वैवाहिक समंध के परे(बुध) मन(चंद्र) से मिलने पर मन को बहु स्त्री या बहु पुरुष भोग की प्रवर्ति बनाता है।
डॉ अरस्तु प्रभाकर।
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