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July 20, 2025 8:21 am

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! श्रीबलराम जी का विवाह – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 7” !!-भाग 1: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! श्रीबलराम जी का विवाह – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 7” !!-भाग 1: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! श्रीबलराम जी का विवाह – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 7” !!

भाग 1

जीजी ! चरणों में रोहिणी का प्रणाम……..

बलराम का विवाह हो गया है ……ये सूचना देंने के लिये आपको मैने ये पत्र लिखा है……..जीजी ! रेवती नाम है उसका ……….हंसना नही जीजी ! अपनें बलराम से बड़ी है …….कुछ ज्यादा ही बड़ी है …..आर्यपुत्र बता रहे थे कि सतयुग की है ये …….पर जीजी ! सुन्दर बहुत है …….अपना बलराम भी कम कहाँ है ……दोनों गोरे गोरे ।

पत्र सुन रही हैं यशोदा मैया ……..बीच बीच में हंसती भी जा रही हैं ।

आज रोहिणी माता का पत्र आया मथुरा से……..समय समय पर ये यशोदा मैया को पत्र भेजती रहतीं हैं……..पत्र आया तो सब काम काज छोड़कर बैठ गयीं यशोदा मैया पत्र सुननें के लिये …….वैसे काम काज अब ये कर भी नही सकतीं ……..अपनें लाला कन्हाई की याद में ये ये रोती ही रहती हैं…….बस जीवन को जैसे तैसे चला रही हैं यही कहा जा सकता है……..पहले की तरह अब न ये बोल पातीं हैं न देख पाती हैं न सुन पाती हैं……..हाँ किसी गोप गोपी को जोर से बोलना पड़ता इन्हें कुछ भी सुनानें के लिये ………पत्र पढ़नें वाली गोपी भी जोर से बोलकर सुना रही है ………कि आस पास सब गोप गोपी इकट्ठे हो गए हैं ………वो भी बड़े ध्यान से सुन रहे हैं और वैसे बलराम इनके अपनें ही तो थे ……दाऊ दादा !

किसका व्याह हुआ है ?……..मनसुख नें पत्र का थोडा सा अंश सुना तो पूछ लिया ।

अपनें दाऊ दादा का ! पत्र सुनाती गोपी नें उत्तर दिया……..हंसा मनसुख……..फिर बड़े ध्यान से सुननें लगा ।

जीजी ! हुआ ये कि ……..कन्हैया और बलराम दो दिन पहले यमुना किनारे भ्रमण कर रहे थे कि……..तभी –

नभ से एक राजा और उसकी राजकुमारी उतरीं …………

सीधे सिर झुकाकर बलराम और कृष्ण को प्रणाम किया था ।

मैया यशोदा बड़े प्रेम से सुन रही हैं पत्र को ………बीच बीच में मुस्कुरा भी देती हैं ………सब ही सुन रहे हैं…….हाँ कन्हैया का नाम पत्र में आते ही नेत्रों से अश्रु छलक पड़ते हैं ।


हे बलभद्र ! आपको मेरा नमस्कार है ……हे श्रीकृष्णचन्द्र ! आपके चरणों में मेरा वन्दन है ………….

मैं राजा कुकुदमी …..और ये मेरी पुत्री रेवती ………..

हाँ कहिये ………..बलराम जी सहज ही बोले थे ……….

पर श्रीकृष्ण और श्रीबलराम जी को बात करते हुये ऊपर देखना पड़ रहा था ……….आप इतनें बड़े क्यों हैं ? हमारा तो मस्तक ही दूख रहा है आपको देखते हुये ……….बड़े भाई साथ में हों तो छोटा भाई विनोद करता ही है …….राजा कुकुदमी और उसकी राजकुमारी को देखकर श्रीकृष्ण विनोद करनें लगे थे ।

हम इस युग के कहाँ हैं ……हम तो सतयुग के हैं ।

उन राजा कुकुदमी नें कहा था ।

सतयुग के ? श्रीकृष्ण हंसे ……दादा ये तो सतयुग के हैं ।

हाँ, मेरी पुत्री अत्यन्त सुन्दरी है ………इसके लायक कोई वर हमें मिला नही …….तो मैं सीधे ब्रह्मा जी के पास चला गया ……और अकेला नही गया ….अपनी इस पुत्री को भी लेकर गया ।

दादा ! सच में भाभी सुन्दर है……..श्रीकृष्ण नें अपनें बड़े भाई को छेड़ा ……आँख दिखाते हुये बलराम जी बोले …..कुछ भी बोलते हो तुम !

क्रमशः …
शेष चरित्र कल –

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