श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! श्रीबलराम जी का विवाह – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 7” !!
भाग 2
हम इस युग के कहाँ हैं ……हम तो सतयुग के हैं ।
उन राजा कुकुदमी नें कहा था ।
सतयुग के ? श्रीकृष्ण हंसे ……दादा ये तो सतयुग के हैं ।
हाँ, मेरी पुत्री अत्यन्त सुन्दरी है ………इसके लायक कोई वर हमें मिला नही …….तो मैं सीधे ब्रह्मा जी के पास चला गया ……और अकेला नही गया ….अपनी इस पुत्री को भी लेकर गया ।
दादा ! सच में भाभी सुन्दर है……..श्रीकृष्ण नें अपनें बड़े भाई को छेड़ा ……आँख दिखाते हुये बलराम जी बोले …..कुछ भी बोलते हो तुम !
राजा कुकुदमी बोला – हम चले तो गए ब्रह्मा जी के पास …….और उन्हीं की शिकायत करनें गए थे ……….कि हमारी बेटी को आपनें बनाया फिर इसके लिये वर कहाँ है ?
तब ब्रह्मा जी व्यस्त थे …….हमको प्रतीक्षा करनी पड़ी …….ब्रह्मा जी नें हमारी ओर देखा ….तो चौंक गए…….पुत्री के विवाह की चिन्ता लेकर आये हो ……तो सुनो ……….चारों युग बदल चुके हैं पृथ्वी में ….समय चक्र चल ही रहा है …….ये ब्रह्म लोक है ………..जाओ पृथ्वी में …….और जब तक तुम पृथ्वी में जाओगे तब द्वापरयुग चल रहा होगा …..और वो भी अन्तिम समय । भगवान संकर्षण अवतरित हुए हैं भगवान श्रीकृष्णचन्द्र के बड़े भाई बनकर ……….आप उन्हीं को अपनी पुत्री दे दीजिये । ………ब्रह्मा जी इतना बोलकर हमें जानें का संकेत कर दिए थे ………..राजा कुकुदमी बोले – हे बलभद्र ! मैं नही ……ब्रह्मा जी की आज्ञा है इसलिये आप मेरी पुत्री को स्वीकार कीजिये …………इतना कहकर यमुना जी के तट में राजा नें अपनी पुत्री का कन्यादान कर दिया ।
बलभद्र जी कुछ बोले नही ……….उन्होंने भी स्वीकार कर लिया ।
हाँ , कन्हैया मुस्कुरा रहे थे ………कन्हैया को भाभी जो मिल गयी थी ।
जीजी ! बड़े बहू , बड़े भाग…….कन्हैया हंसनें लगा था…….वो छेड़ रहा था अपनें बड़े भाई को……क्यों की वर बलराम से वधू रेवती बहुत बड़ी थी ।
यशोदा जी हंसती हैं……मनसुख हंस रहा है ….अन्य गोप और गोपी भी हंस रहे हैं ।
दादा ! ऐसे कैसे चलेगा ? आपको तो बातें भी करनी होंगीं भाभी से तो ? चुप ! बलराम नें चुप तो करा दिया कन्हाई को …….पर जीजी ! उसी समय बलराम नें हल लेकर …….रेवती को थोडा सा छु भर दिया था …….कि वो तो बलराम से भी छोटी हो गयीं…….
पत्र सुनकर यशोदा जी फिर हंसी ……………..
अपना बलराम भी विचित्र है ……यशोदा मैया अभी भी हंस रही थीं ।
जीजी ! आपको मैं निमन्त्रण भेज रही हूँ ………मुझे पता है आप आओगी नही ………पर आजातीं तो कन्हैया और बलराम बहुत खुश होते …..चलिये कोई बात नही जीजी ! आप अपना आशीर्वाद बलराम और अपनी बहू रेवती को भेज दीजियेगा……..सबको मेरा नमस्कार बोलियेगा …….बाकी सब ठीक है !
आपकी छोटी बहन
रेवती ।
यशोदा जी आज कई दिनों के बाद कुछ प्रसन्न दीखीं ।
आज बलराम का विवाह महोत्सव हो रहा होगा ………….मैया यशोदा नें ऊपर देखते हुये सब गोप गोपियों से कहा ।
कन्हैया का कब होगा ? मनसुख नें पूछ लिया ।
ये प्रश्न सुनते ही यशोदा मैया फिर शून्य में तांकनें लगीं थीं ।
यही आँगन है ……जहाँ मचल गया था एक दिन कन्हैया पाँच वर्ष का था । कहनें लगा था मेरा व्याह करा दे …….इतना कहते हुये खूब हंसनें लगीं मैया ………फिर तो अश्रु बह चले थे ।
“जय हो दाऊ दादा की” …”जय हो रेवती भाभी की”……….मनसुख बोला था ।
शेष चरित्र कल –


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