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September 14, 2025 3:37 am

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!!श्रीकृष्ण का तिलकोत्सव – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 13” !!- भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!!श्रीकृष्ण का तिलकोत्सव – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 13” !!- भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! श्रीकृष्ण का तिलकोत्सव – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 13” !!

भाग 2

जाओ ! मैं आरहा हूँ पीछे सेना लेकर ……बलभद्र बोले ……..और श्रीकृष्ण नें रथ की लगाम खींची ………अश्व तो दौड़े नही मानों उड़ रहे थे ……द्वारिका से मात्र दो घड़ी में विर्दभ पहुँच गए थे श्रीकृष्ण …..ब्राह्मण देवता को भेज दिया और कहा…….आप जाओ और रुक्मणी को सूचना दे दो कि मैं आगया हूँ ….ब्राह्मण आनन्दित होते हुये रुक्मणी के महल की ओर चल पड़े थे ।


रुक्मणी ! राजकुमारी ! आप तैयार तो हो जाइए ……..भगवती के पूजन के लिये भी जाना है ……….सखियों नें आकर कहा ।

और हाँ …..शिशुपाल भी आगए हैं …….अब हमें पहले उनका तिलक करनें जाना है …….आप शीघ्र तैयार हो जाएँ ! सखियाँ ये सब कहकर चली गयीं थीं …….रुक्मणी नें अपनें हृदय की बात सखियों को भी नही बताई थी ……क्यों की ये सब रुक्मी से डरती थीं, बता देतीं उसे ।

तात ! रुक्मणी को लगनें लगा था कि श्रीकृष्ण अब नही आयेगें, क्यों आनें लगे वो मेरे पास …..वो तो भुवन सुन्दर हैं …..उनके पास तो हजारों रुक्मणी है …..मैं क्या हूँ …..रुक्मणी का रुदन शुरू हो गया था ……..कि तभी ब्राह्मण देवता पधारे …….।

क्या हुआ भगवन् ! नही आये मेरे नाथ ! रोते हुए रुक्मणी नें पूछा ।

हे भीष्मक नन्दिनी ! वो क्यों नही आएंगे …….वो सबकी पुकार सुनते हैं फिर तुम्हारी पुकार तो विशुद्ध प्रेम की पुकार थी ………….

वो आगये ? उछल पडीं रुक्मणी …………चरणों में वन्दन किया विप्र के …….अब निश्चिन्त होकर सजनें संवरने लगीं थीं ।


वर शिशुपाल आरहा है ……….विदर्भ की प्रजा पुष्प माला आरती लेकर खड़ी है ………सुन्दर सुन्दर स्त्रियाँ गीत गा रही हैं …..मंगल ध्वनि चहुँ ओर गूँज रही है …….जय जयकार सब लोग कर रहे हैं ।

शिशुपाल आनें वाला है ………..पर अद्भुत दृश्य ये बना कि शिशुपाल के आनें से पहले श्रीकृष्ण निकले उस मार्ग से ………नर नारी उस रूप सौन्दर्य को देखकर मुग्ध हो गए …….सब भूल गए ……..इतना सुन्दर !

श्रीकृष्ण भी कौतुकी हैं ……..उन्होंने भी अपना रथ वहीं रोका जहाँ तिलक के लिये सुन्दर स्त्रियाँ खड़ीं थीं ……..वो स्वागत के लिये आरती भी सजा कर लाईं थीं ……ये सारी व्यवस्था रुक्मी नें स्वयं बनाई थी …किन्तु अभी रुक्मी तो शिशुपाल के साथ था …………

श्रीकृष्ण नें रथ रोका ……….स्त्रियों ने पुष्प बरसाए श्रीकृष्ण के ऊपर ……तिलक किया …….मंगल गीत गाते हुये आरती की ……अक्षत वार कर मंगल का शंख नाद किया …………..

ये सब हो गया तो श्रीकृष्ण अपना रथ लेकर मुस्कुराते हुये वहाँ से चले गए ………सब नर नारी मुग्ध हो गए थे ……वो भी सब चले गए वहाँ से ।

ये क्या ! शिशुपाल का जब रथ आया तब कोई नही था वहाँ .स्वागत करनें के लिये ….न तिलक न आरती !

शिशुपाल क्रोध में चिल्लाया ………रुक्मी साथ में था …….उसको भी बड़ा दुःख हुआ कि ये सब क्या है ? वर का कोई स्वागत नही ।

तो वो “वर” नही था ? कुछ लोग मार्ग में थे वो पूछ रहे थे ।

कौन वो ? रुक्मी नें क्रोध में भरकर पूछा ।

वो श्याम वर्ण का अत्यन्त सुन्दर त्रिभुवन सुन्दर ………आह !

शिशुपाल बोला ……गोपाल ! वो गोपाल यहाँ भी आगया !

गोपाल ? सारी प्रजा ये नाम लेनें लगी ………प्रजा में बात फ़ैल गयी ।

लोग तो ये भी कह रहे थे – “तिलक करना था शिशुपाल का हो गया गोपाल का” ।

उद्धव आनन्दित होते हुए ये प्रसंग सुना रहे है ।

शेष चरित्र कल –

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Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

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