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September 14, 2025 6:40 am

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! रुक्मणी कृष्ण -” उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 15″ !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! रुक्मणी कृष्ण -” उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 15″ !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! रुक्मणी कृष्ण -” उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 15″ !!

भाग 1

क्या राजकुमारी का हरण हो गया !!!!!

बात हवा की तरह फैल गयी थी विदर्भ में…………

शिशुपाल जरासन्ध रुक्मी आदि सब बैठे थे और हास्य विनोद चल रहा था कि एक सैनिक नें आकर सूचना दी …..कि राजकुमारी का हरण हो गया !

शिशुपाल चिल्ला उठा – मैं तो कह ही रहा था वो चोर है ……चोरी करना उसे अच्छे से आता है ……..आज उसनें फिर ! ओह ! वो अपना मस्तक दीवार पर पटकनें लगा …………रुक्मी नें अपनें सैनिकों को डाँटते हुये कहा……….तुम क्या कर रहे थे !

राजकुमार ! वो अत्यन्त सुन्दर था …….वो इतना सुन्दर था कि हम कुछ समय के लिये सब कुछ भूल ही गए ………..उसकी मुस्कुराहट ! उसकी वो पीताम्बरी ! उसकी वो गज चाल !

मूर्ख सैनिक !

रुक्मी अपनें ही सैनिक के ऊपर झपटा ….तो जरासन्ध नें अलग किया रुक्मी को ………इस बेचारे को मारकर क्या होगा ………

सब अपनी अपनी सेना निकालो …….और वो अभी निकट ही होगा विदर्भ के …..हो सकता है विदर्भ की सीमा उसनें पार की भी नही होगी…..उसे घेर लेते हैं ……राजकन्या को छुड़ा कर उसे मार देंगे ।

जरासन्ध की बात सुनकर दौड़े अपनी अपनी सेना लेकर ……….जरासन्ध के शिशुपाल सबनें अपनी सेना को आदेश दे दिया था ……हजारों गज, हजारों अश्व उनमें हजारों सैनिक ……….सब दौड़ पड़े थे श्रीकृष्ण की ओर ।

पुत्र ! राजा भीष्मक नें सुना कि रुक्मणी का हरण श्रीकृष्ण नें किया है ……तो वो आये अपनें पुत्र के पास …….रुक्मी सेना को आदेश दे रहा था कि – पुत्र ! जो हुआ अब उस पर ज्यादा विचार मत करो ……..हम सब मिलकर चलते हैं द्वारिका और कन्या दान कर देते हैं !

पिता जी ! रुक्मी क्रोध दाँत भींचनें लगा था ।

मैं रुक्मणी को लेकर आऊँगा …..और कृष्ण का वध करके आऊँगा !

और हाँ, अगर मैं ये नही कर सका तो विदर्भ को पलट कर नही देखूंगा।

पीछे से पुत्र ! पुत्र ! पुकारते रहे भीष्मक …….पर रुक्मी नें आज सुनी नहीं अपनें पिता की ……..वो क्रोध के कारण मानसिक रूप से रुग्ण हो चुका था ।


आगे से जरासन्ध की सेना ………….श्रीकृष्ण , रथ को पीछे मोड़कर दूसरे मार्ग से निकलना चाह रहे थे …….कि पीछे से शिशुपाल की सेना ।

नाथ ! हम लोग घिर चुके हैं …….अब ? रुक्मणी घबड़ाईँ ।

श्रीकृष्ण शान्त ही बने रहे ……………..पर उसी समय पीछे से एक शंख ध्वनि गूँजी ………….बलराम भैया ! श्रीकृष्ण बोल पड़े ।

ये कौन हैं ? रुक्मणी नें पूछा ……………हमारे बड़े भैया हैं …….वो देखो रुक्मणी ! सम्पूर्ण यादवी सेना को लेकर वो पहुँच चुके हैं ।

क्रमशः …
शेष चरित्र कल –

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