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September 14, 2025 6:40 am

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!! गुरुपूर्णिमा – विशेष !! : Niru Ashra

!! गुरुपूर्णिमा – विशेष !! : Niru Ashra

!! गुरुपूर्णिमा – विशेष !!

साधकों ! मैं श्रीबरसानाधाम में हूँ …एकान्त वास में हूँ ।

आज अध्यात्म जगत का महामहोत्सव है ….गुरुपूर्णिमा ….आप सबको बधाई हो ।

मैं कुछ बातें अपने साधकों से कहना चाहती हूँ …..आज गुरुपूर्णिमा है …गुरु आपसे जो अपेक्षा रखते हैं उन्हें दो …..वो आपसे धन चाहते हैं आप धन हो ..वो आपसे मन चाहते हैं आप मन दो …आप से गुरु “भजन” चाहते हैं तो आप परम भाग्यशाली हैं ….उन्हें खूब भजन दो ।

शरणागति ली है ना ? शरण में लगाया है ना हमें भगवान के गुरुदेव ने ….पर क्या हम सही में शरणागत हैं ? शरणागत का अर्थ होता है पूर्ण समर्पण । आप कहोगे हमने तो अपने आपको “समर्पित” कर दिया है भगवान के चरणों में ….तो थोड़ा रुकिये ….आप को पता है मुझे ये सब डायलोग पसन्द नही हैं …..इसलिये सुनिये कुछ बातें मैं आपको समर्पण की बताती हूँ …..उसे कीजिये आप तब सच में भगवान के शरणागत होंगे ।

आप भोजन करते हैं ? मत कीजिये ….आप प्रसाद पाइये ….और प्रसाद पाते समय गदगद हो जाइये ….भाव से भर जाइये …..उत्साह और उमंग से प्रसाद का एक एक कौर पाइये ।

ये मेरे प्रियतम का प्रसाद है …ये मेरे इष्ट की जूठन है ….आहा हा….!

आप स्नान करते हैं ? तो स्नान के समय जल जब आप अपने ऊपर डालें तो आँखें बन्दकरके भावना कीजिये ….श्रीजी के चरणों का अभिषेक कर रहे हैं ….उनके चरणों से गिरता हुआ जल मेरे सिर में आरहा है …जल डालिये अपने ऊपर और इस भावना से भर जाइये ……जल सुगन्धित है ….केसर कपूर चंदन की सुगन्ध आरही है …..जय हो ।

थोड़ा दर्शन कीजिये श्रीजी के चरणों के …नहाते हुये भावना से …..अपनी दृष्टि ऊपर उठाइये …..चरण कितने कोमल हैं …महावर लगे हुए हैं …..ये महावर मेरे श्याम सुन्दर ने कल ही तो लगाई थी ।

इस तरह स्नान भी आपकी साधना बन जाएगी …..आहा ! नहा कर कितना आनन्द आगया है ।

आप चल रहे हैं ….जब शरणागति ले ली तो फिर चलना भी उन्हीं के लिए होना चाहिये ना…थोड़ा लय ताल से चलिये …….

कल में बरसाने के एक सिद्ध महात्मा के पास थी ….मैं मौन थी ….उनके सामने एक उनका शिष्य दिल्ली से आया , वो कार से उतर कर आरहा था ….उसकी चाल देखकर वो महात्मा बोले ….कैसी बेढंग चाल है ….नाम जप से नही चलते हो क्या ?

मैंने सुना तो मुझे बड़ा अच्छा लगा ….उन दिल्ली के शिष्य ने पूछा …गुरुदेव ! मैं कुछ समझा नही ….तो उन महात्मा ने कहा ….चलो तो भी लय से …..नाम जाप से रिदम को पकड़ो ….नाम जाप करते होते तो पता चलता ना ! पंखा चल रहा है उसका एक रिदम होता है ….उसी रिदम में यानि ताल में नाम जाप करना शुरू कर दो ……चलो तो भी नाम जाप के ताल से चलो ।

साधकों ! आप समझ रहे हो ना ! मैं तो रेलगाड़ी में बैठती हूँ तो उसकी जो रिदम होती है उसी से जाप शुरू हो जाता है ……

आप रात्रि में सो रहे हो …प्रियतम के चरण की ओर अपना सिर रखकर सो रही हूँ ….ऐसी भावना रखो …..बीच बीच में उनके चरण तुम्हारे सिर से लग रहे हैं……आहा !

तुम सो कर उठ रहे हो …..हड़बड़ा के मत उठो ….चरणों के दर्शन करो मन से ….अपने सिर से लगाओ फिर उठो ।

हाँ नये वस्त्र पहन रहे हो तो पहले उन्हें ठाकुर जी को पहनाओ …पहना नही सकते तो चरणों से छुवा कर फिर धारण करो ……ये भावना से भी कर सकते हो ….या आपके सेव्य ठाकुर जी हैं तो उनको चढ़ा सकते हो ….फिर उन वस्त्रों को धारण करो ।

शरणागति का अर्थ ये नही है कि मात्र एक घण्टे या चार घण्टे माला कर लिया और बाकी समय मोबाईल आदि में बिता दिया ……नही , आपने शरणागति ली है भगवान की …..इसलिये आपको अपना पूरा समय भगवान को अर्पित करना है ….अपना सब कुछ भगवान को देना है ….और ये इसी तरह से होगा …..छोटी छोटी बातों को भगवान से जोड़ो …..आहा !

फिर देखो आपके गुरुदेव आपके ऊपर कितने प्रसन्न होते हैं …वो प्रसन्न धन से नही होते ….तन से नही होते ….वो गुरुतत्व हैं …वो तुम्हें सदैव देखते रहते हैं …तुम क्या कर रहे हो …तुम्हारी शरणागति कहाँ जा रही है ये उन्हें सब पता है ….इसलिये मैं कह रही हूँ …..गुरुतत्व को आज रिझाओ …..गुरुतत्व तुमसे भजन की भिक्षा माँगता है …भजन की दक्षिणा माँगता है ….दोगे ना ?

श्रीबरसाना धाम से ….. आज यह एक बहुत महत्वपूर्ण भाव आया ठाकुर ठकुरानी के संग आहा।

निरंजना …..

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Author: admin

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