Explore

Search

September 14, 2025 3:37 am

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!!इधर मैया यशोदा – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 16” !! -भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!!इधर मैया यशोदा – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 16” !! -भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! इधर मैया यशोदा – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 16” !!

भाग 2

“साध मेरी जीवन की पूरा करेगा , मेरा गोपाल व्याह करेगा” ।

उफ़ ! और अब नाचनें भी लगीं थीं मैया यशोदा ।


भीष्मक की पुत्री है जीजी !

रुक्मणी नाम है ………..हरण करके लाया है अपना कन्हैया उसे ……वैसे तो उसी नें पत्र लिखकर अपनें लाला से प्रार्थना की थी….कि मुझे यहाँ से ले जाओ …..इसलिये कन्हैया गया और ले आया है ……….सुन्दर है ………..विवाह महोत्सव कल का रखा गया है ………….अब क्या कहूँ , मथुरा में तो तुम आईँ नहीं अब द्वारिका में क्या आओगी ! दूर है समुद्र के किनारे है ये द्वारिका ।

जीजी ! जब से मैं वृन्दावन से आयी हूँ मुझे हँसी ही नही आती ….किसी काम में कोई उत्साह नही रह गया है …….बस आप लोगों की याद आती रहती है ……….लगता है सब कुछ छोड़ कर वृन्दावन में ही आजाऊं ।

जीजी ! आशीर्वाद भेजना अपनें लाला के लिये……..और अपनी बहू के लिये……तुम्हारी बहुत याद आती है अब कब मिलना होगा पता नही ।

तुम्हारी बहन – रोहिणी ।

रात्रि को जब बृजराज नन्दमहल में आये तब उन्होंने पत्र पढ़कर यशोदा मैया को सुनाया था ।

वो सुनती रहीं ………पत्र जब पूरा हुआ ……..तब बोलीं –

सुनिये ! मैं जाऊँगी द्वारिका ! क्या !! बृजराज चौंके ।

तुम जाओगी ? मथुरा नही गयीं अब द्वारिका जाओगी ?

मेरे लाला का व्याह है ………..मेरे बिना उसका व्याह कैसे होगा ?

आप भी चलिये ना ! हम दोनों जाते हैं !

बृजराज उठे और यशोदा के कन्धे में हाथ रखते हुये बोले……यशोदा !

बहुत दूर है द्वारिका………बहुत दूर……….हम लोग नही जा पाएंगे ।

अच्छा !

बृजराज समझाते हैं तो बेचारी मान भी जातीं हैं ……कर भी क्या सकतीं हैं ये …………

कुछ समय के लिये वहाँ कोई कुछ नही बोलता …………फिर एकाएक हँसी फूट पड़ती है मैया की ………..मैं मर जाऊँ ?

ये सुनते ही बिलख उठते हैं बृजराज ……….ऐसे मत बोलों यशोदा !

हाँ ……..मैं मर जाऊँगी ना …..तो भूतनी बनूँगी ………फिर भूतनी बनकर मैं कितनी भी दूर जा सकती हूँ ना ……द्वारिका भी !

मैं वहाँ जाकर अपनें लाला को देखूंगी ……..पास में नही जाऊँगी ……डर जायेगा ना लाला …….दूर से देखूंगी उसे ……..अपनी बहू को भी देखूंगी ………..बोलिये ना ! मैं मर जाऊँ ?

बृजराज यशोदा को अपनें हृदय से लगा लेते हैं …..और हिलकियों से रो पड़ते हैं ……ऐसा मत बोलो …………हम मिलेगें अपनें लाला से मिलेंगे ……..पर कब ? बड़ी मासूमियत से पूछती हैं मैया !

इसका क्या उत्तर दें बृजराज ! वो बस आँसुओं को बहाते रहते हैं ।

शेष चरित्र कल –

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements