🐕🦺कुत्ता पालने वाले🦮निम्न बातों को ध्यान में रखकर ही कुत्ता पालें:-
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- जिसके घर में कुत्ता होता है उसके यहाँ देवता हविष्य (भोजन) ग्रहण नहीं करते ।
- यदि कुत्ता घर में हो और किसी का देहांत हो जाए तो देवताओं तक पहुँचने वाली वस्तुएं देवता स्वीकार नहीं करते, अत: यह मुक्ति में बाधा हो सकता है ।
- कुत्ते के छू जाने पर द्विजों के यज्ञोपवीत खंडित हो जाते हैं, अत: धर्मानुसार कुत्ता पालने वालों के यहाँ ब्राह्मणों को नहीं जाना चाहिए ।
- कुत्ते के सूंघने मात्र से प्रायश्चित्त का विधान है, कुत्ता यदि हमें सूंघ ले तो हम अपवित्र हो जाते हैं ।
- कुत्ता किसी भी वर्ण के यहाँ पालने का विधान नहीं है, कुत्ता प्रतिलोमाज वर्ण संकरों (अत्यंत नीच जाति जो कुत्ते का मांस तक खाती है) के यहाँ ही पलने योग्य है ।
- और तो और अन्य वर्ण यदि कुत्ता पालते हैं तो वे भी उसी नीचता को प्राप्त हो जाते हैं ।
- कुत्ते की दृष्टि जिस भोजन पर पड़ जाती है वह भोजन खाने योग्य नहीं रह जाता ।
और यही कारण है कि जहाँ कुत्ता पला हो वहाँ जाना नहीं चाहिए ।
उपरोक्त सभी बातें शास्त्रीय हैं अन्यथा ना लें, ये कपोल कल्पित बातें नहीं
इस विषय पर कुतर्क करने वाला व्यक्ति यह भी स्मरण रखे कि…
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कुत्ते के साथ व्यवहार के कारण तो युधिष्ठिर को भी स्वर्ग के बाहर ही रोक दिया गया था ।
घरमेकुत्तापालनेकाशास्त्रीयशंका_समाधान
महाभारत में महाप्रस्थानिक/स्वर्गारोहण पर्व का अंतिम अध्याय
इंद्र ,धर्मराज और युधिष्ठिर संवाद में इस बात का उल्लेख है।
जब युधिष्ठिर ने पूछा कि मेरे साथ साथ यंहा तक आने वाले इस कुत्ते 🐕🦺 को मैं अपने साथ स्वर्ग क्यो नही ले जा सकता ।
तब इंद्र ने कहा।
इंद्र उवाच
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हे राजन कुत्ता पालने वाले के लिए स्वर्ग में स्थान नही है* … ऐसे व्यक्तियों का स्वर्ग में प्रवेश वर्जित है।
कुत्ते से पालित घर मे किये गए यज्ञ,और पुण्य कर्म के फल को क्रोधवश नामक राक्षस उसका हरण कर लेते है और तो और उस घर के व्यक्ति* जो कोई दान, पुण्य, स्वाध्याय, हवन और कुवा_बावड़ी इत्यादि बनाने के जो भी पुण्य फल इकट्ठा होता है,* वह *सब घर में कुत्ते की हाजरी और उसकी दृष्टि पड़ने मात्र से निष्फल हो जाता है ।
इसलिए कुत्ते का घर मे पालना… *निषिद्ध और वर्जित है।
कुत्ते का संरक्षण होना चाहिए ,उसे भोजन देना चाहिए, घर की रोज की एक रोटी पे कुत्ते का अधिकार है इस पशु को कभी प्रताड़ित नही करना चाहिए* और दूर से ही इसकी सेवा करनी चाहिए परंतु घर के बाहर, घर के अंदर नही। यह शास्त्र मत है।
अतिथि और गाय, … घर के अंदर
कुत्ता, कौवा, चींटी … घर के बाहर, ही फलदाई होते है।
*यह लेख शास्त्र और धर्मावलंबियों के लिए है…. *आधुनिक विचारधारा के लोग इससे सहमत या असहमत होने के लिए बाध्य नहीं है। इसलिए *उन लोगो से अनुरोध है कि इस पोस्ट पे फालतू की कमेंट न करने की कृपा करें।
Note
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गाय, बूढ़े मातापिता क्रमशः दिल, घर, शहर से निकलते हुए गौशालाओं व वृध्दाश्रम मे पहुंच गए
और कुत्ते
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घर के बाहर से घर, सोफे, बिस्तर से होते हुए दिल मे पहुंच गए, … यही सांस्कृतिक पतन हैं।
धन्यवाद
Author: admin
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