Explore

Search

November 22, 2024 8:15 am

लेटेस्ट न्यूज़

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 35 !!-शरद की वह प्रथम पूर्णिमा भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 35 !!-शरद की वह प्रथम पूर्णिमा भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 35 !!

शरद की वह प्रथम पूर्णिमा
भाग 3

उस किशोर नें बड़े मुग्ध भाव से पहले तो चन्द्रमा को निहारा …….

और ऐसे निहारा जैसे अपनी प्रेयसि को याद कर रहा हो ………

जैसे – अपनी प्रेयसि के मुख का स्मरण कर रहा हो,
उस पूर्ण चन्द्रमा को देखकर ।

पर मेरा प्रभाव उस पर पड़ क्यों नही रहा…….कामदेव चिंतित ।

अब उस किशोर नें अपनें हाथ की बाँसुरी को…..अधरों पर रखा ।

और सप्तम स्वर से “क्लीं” बीज को गुंजारित करना शुरू कर दिया था ।

क्या मेरा ही आव्हान कर रहा है ये किशोर ? या मुझे चुनौती दे रहा है ?

पर कुछ क्षण ही बीते होंगें की कामदेव काँप उठा ……….

मेरी शक्ति क्षीण क्यों हो रही है …….मेरा शरीर काँप क्यों रहा है …….मेरा हाथ धनुष और बाण पर जा ही नही रहा ।

क्या हुआ ? क्यों हुआ ? क्या हो रहा है मेरे साथ ये सब ?

कामदेव कुछ नही समझ पा रहा ।

कौन सी ऐसी शक्ति है ……….कौन सी शक्ति है जो इसे बचा रही है मुझ से ………..और मुझे कमजोर किये जा रही है …….।

आज तक ऐसी किसी शक्ति से मेरा पाला नही पडा ……….ये क्या है ?

क्या ये गोप कुमार कोई जादू जानता है ? पर जादू मुझ पर चलेगा ?

पर चल रहा है ………..कामदेव के कुछ समझ में नही आरहा ।

तभी बंशी नें पुकारना शुरू किया ………बंशी की पुकार सुनकर स्वयं मोहित होता जा रहा था कामदेव………”बंशी में जो स्वर छेड़ा था वह स्वर तो मेरी पत्नी रति भी नही जानती” ……..कामदेव नें अब सुनना शुरू किया ………..ध्यान से सुनना शुरू किया …………बंशी में वो किशोर कुछ गुनगुना रहा था …………कामदेव खुश हुआ ………हाँ …..ये जो नाम ले रहा है ……यही है इस किशोर की शक्ति ……कौन है ये ?

फिर ध्यान से सुननें की कोशिश की ………..कई बार कोशिश करनें के बाद सफलता हाथ तो लगी थी कामदेव के ……….

बांसुरी में यही पुकार चल रही थी ………मानों ये किशोर अपनी प्रेयसि से आज्ञा मांग रहा था ….प्रार्थना कर रहा था ……………..

“हे राधे ! बृषभान भूप तनये , हे पूर्णचन्द्राननें”

राधा ! इसकी शक्ति का नाम है राधा ! कामदेव समझ गया था ।

पर ये प्रार्थना कर क्यों रहा है ? क्यों ?

“रास के लिये ….अब मैं महारास करना चाहता हूँ …….हे मेरी राधे !

आप आज्ञा दो…….आप ही हो इस रास की रासेश्वरी ………आप ही हो इस वृन्दावन की अधीश्वरी ……इस रास मण्डप की शोभा आप हो ।”

प्रार्थना कर रहा है ये किशोर …….अपनी आल्हादिनी शक्ति से ..।

कामदेव समझ गया ……अब वो अपनी नई रणनीति बनानें में जुट गया था …….कि इस कृष्ण को कैसे युद्ध में हराउँ ।

क्यों की हे वज्रनाभ ! सारी रणनीति फेल कर दी थी कामदेव की कृष्ण नें ………..ये सोच के आया था कि …मन्त्र तन्त्र या योग से मुझ से भिड़ेगा ……पर नही …..ये तो अलग ही है ………ये तो बाँसुरी बजाकर ……..शरद की रात्रि में …..और महारास कर ……….ओह !

कामदेव को एक विचित्र स्थिति में फंसा दिया था,
इस प्यारे से किशोर नें ।

शेष चरित्र कल ……

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग