!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 37 !!
कृष्ण नें जब कामदेव को हराया…..
भाग 3
पर श्याम सुन्दर नही थके ……ये अभी भी उसी अनन्त प्रेम की ऊर्जा के साथ विहार कर रहे हैं…….बड़ी तीव्र गति से नाच रहे हैं …….एक ताल में नाच रहे हैं ….एक स्वर में नाच रहे हैं………मध्य में वही श्याम ज्योति ….और चारों और गौरांगी गोपियाँ ….नाच रही हैं ।
कामदेव पसीनें पसीनें हो गया..और सोचनें लगा …..”.इतनी सुंदरियों के साथ नृत्य , हास परिहास चुम्बन, परिरम्भन……..करनें के बाद भी …….ये शान्त है ! …….कामदेव के कुछ समझ में नही आरहा ।
कितना ऊर्जावान है ये अद्भुत ! सबको नचा रहा है अपनें प्रेम में ……ये अद्भुत सुन्दरियां हैं ……..इनको छू रहा है ………चूम रहा है …..फिर भी ये अंदर से शान्त है……..ये विचलित नही हो रहा !
इसको कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा…….कामदेव उस असीम ऊर्जा के साथ नाचते हुये जब श्याम सुन्दर को देखता है …….”.इसकी ऊर्जा स्खलित नही हो रही ………अरे ! स्खलित क्या ……इसका मन पहले जैसे शान्त था, वैसा ही शान्त अभी भी है ………ये अच्युत है …….हाँ ..अब मैं समझा ये अच्युत है ……..इसका पतन नही है ……वासना इसका कुछ बिगाड़ नही पाएगी…….ये कितना सहज है ……….देखो ! सारे तनावों से मुक्त ! बस नाच रहा है …….ऐसे नाच रहा है जैसे अपनी ही परछाई के साथ कोई बालक नाचता है ।
हाँ ……इसकी ही तो परछाईं हैं ये सब गोपियाँ ………नही नही गोपियाँ ही क्यों हम सब भी तो इसी की परछाईं हैं ……..कामदेव हार गया ………थक गया …….पूरी शक्ति लगा दी थी कृष्ण को पराजित करनें के लिये …..पर नही ……….कृष्ण तो अभी भी नाच रहे हैं ……….पर कामदेव थक गया ………..अब नही श्याम सुन्दर ! चिल्ला उठा कामदेव ।
“मन्मथ” नाम है मेरा …क्यों की दुनिया के लोगो के मन को मैं मथता हूँ ।
पर मुझ मन्मथ के मन को भी आपनें मथ दिया ……….मैं आपकी शरण में हूँ ………..मुझे अपना बालक स्वीकार कीजिये ……..
मै हार गया आपसे ………..कामदेव चरणों में गिर गया कृष्ण के ।
मुस्कुराये श्याम सुन्दर ………..क्या चाहते हो ?
आपका पुत्र बनना चाहता हूँ ….कामदेव नें हाथ जोड़कर कहा ।
ठीक है …..द्वारिका की लीला में तुम मेरे प्रथम पुत्र बनोगे………
श्याम सुन्दर नें वरदान दिया ।
पर रासलीला तो चलती ही रही ……….और चलती रहेगी ।
हे वज्रनाभ ! रासलीला में अब एक और विघ्न उत्पन्न हो रहा था ।
महर्षि शाण्डिल्य नें कहा ।
क्या विघ्न ? गुरुदेव ! वज्रनाभ नें पूछा ।
शेष चरित्र कल –


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