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November 21, 2024 10:34 pm

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विरही- गोपी- उध्धव – संवाद-२४🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹-🌺 उद्धवजी-गोपी संवाद (कजली वन)🌺 : Niru Ashra

विरही- गोपी- उध्धव – संवाद-२४🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹-🌺 उद्धवजी-गोपी संवाद (कजली वन)🌺 : Niru Ashra

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 विरही- गोपी- उध्धव – संवाद-२४🦚
🌹 भ्रमर -गीत🌹

🌺 उद्धवजी-गोपी संवाद (कजली वन)🌺

🌹 गोपीजन उद्धवजी को साथ लेकर चर्चा करते उन्हें कजली वन जहाँ राधाजी बिराजते हैं। चलते-चलते आगे जा रहे। (कजली वन को उद्धव क्यारी भी कहते हैं जो परिक्रमा मार्ग में आती हैं) यही उद्धवजी और गोपीजनों का वृहद संवाद रूप में भ्रमरगीत रास में गाया गया.

🌹 बातें करते एक गोपी बोली उद्धवजी आप यदुपति मथुरानाथ के संदेश-वाहक हो क्या?

👉 उद्धवजीने तत्काल जवाब दिया हाँ!

👉 ब्रजबालाओं! तो गोपियों को मालूम हुआ कि उद्धव श्रीकृष्ण के संदेशदूत है। “वे मन ही मन विचारती फिर कब मौका मिलेगा जो कुछ पूछना कहना है कह देना उचित समय ?” अतः वे लोक व्यवहार मर्यादा छोड़, लाज-शरमी की चिंता न करते बहुत दुःखी मन से उद्धवजी को समझा कर कहने लगी।

🙏 गोपियाँ, निष्कपट, भोली-भाली, बिना विवेक में स्वच्छंद हो बातें करते अपनी मन-चित्त की बातें कहती जाती है। (चित्र-६)
उद्धवजी से नई-नई मुलाक़ात मित्रता है अतः ज्यादा आनंदित नहीं है। उद्धवजी आप श्रीकृष्ण को पूरा नहीं जानते हो। उनका स्वभाव, स्वरूप, व्यवहार को वास्तविक नहीं जानते। जितना हम जानती है। वो गणिका जैसा है आपका मित्र है, आप क्या जानें? उलाहना की भाषा में अपनी बातें कहती हैं।

👏 ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय समय उद्धवजी यमुना स्नान के लिये पधारे। गोपियाँ राह में श्रीकृष्ण जैसी अंतरंग वस्त्र पहने देख समझी ये प्रभु के ख़ास सखा हैं, तब उद्धवजी ने गोपियों को बताया कि वे श्रीप्रभु श्रीकृष्ण के संदेश पत्र आपके लिये मथुरा से लेकर आये हैं। गोपियाँ उन्हें श्रीराधाजी के पास ले जाने को तत्पर हुई।

🌻 उद्धव जब मथुरा से गोकुल के लिए संदेश ले निकले थे तब सोचा था कि योग ज्ञान ब्रजजनों को यूँ ही पढ़ा-समझा दूँगा ? कि वे सहज ही श्याम को भूल जावेंगे? किन्तु
💃 यहाँ समझा पाना कठिन लग रहा है ? वे स्वयं गुमसुम गोपियों की बातें श्रवण करते कजली वन तरफ बढ़ रहे हैं।
👉 उदाहरण:

🙏 १. फिर गोपियाँ कहती : उद्धवजी आप गणिका (वेश्या) जानते हो ना कन्हैया वैसा ही व्यवहार कर रहा है।
🙏 २.- दूसरी गोपी कहती : कन्हैया यज्ञ, पूजन करवाने वाला ब्राह्मण-सा है दक्षिणा पर ध्यान देता है। दक्षिणा पाते है चलता बनता है फिर जजमान की तरह झाँकता नहीं, ऐसा है।
🙏 ३. गोपियाँ सहज स्त्री होने से दोष मढ़ रही है। उसने हमारा त्याग किया है पर हम प्रिय संबंधो के कारण कैसे छोड़े? नहीं छोड़ सकती है।
🙏 ४. सुनो उद्धव : राजा सक्षम समर्थ शक्तिशाली हो तो प्रजा उनकी आज्ञा का पालन करती। निर्बल, निर्धन हो तो जनता आज्ञा नहीं मानती उद्धव हम कमजोर अबला का तुम्हारे मित्र को क्या खबर।
🙏 ५. सुनो उद्धव फिर अन्य गोपी कहती : गुरुवर से शिक्षा प्राप्त कर शिष्य भी आचार्य को छोड़ चला जाता है। (स्वार्थ, मतलब तब तक पड़ता) ऐसा हम गोपियों को अनुभव होता है। संबंध स्वार्थ तक ही होते हैं? 🌺
विरही गोपी-२५🌺🌺🌺 क्रिष्णा 🌺🌺🌺

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