!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 55 !!
मथुरा से कृष्ण जब नही लौटे…
भाग 3
देखो ! इधर आओ ……..ये माखन इस राधा नें निकाला है ………श्रीराधा को दिखाती हुयी बोलीं बृजरानी ।
क्यों कि वह आते ही मांगेगा ना ! …..बड़ा जिद्दी है वो ……..
पर आपनें बताया नही …….वो कहाँ रह गया ?
अच्छा ! अच्छा ! आनें दो उसे …………..मैं बताउंगी ……..बांध के पिटूँगी ………बहुत जिद्दी हो रहा है आजकल ………….
अच्छा ! बताइये ………आप ही बताइये ……कितनी आक्रामक हो उठी थीं बृजरानी यशोदा ………पहले उसे अपनें घर में आना चाहिए ना !
गया होगा किसी गोपी के यहाँ माखन खानें ……..ये लाली बरसानें से आयी ……..माखन निकाल दिया ………पर वो …….दुष्ट कहीं का ।
बृजपति नही गए नहानें ……..वापस आये …………..यशोदा ! नही आया तेरा लाला ! बृजपति नें स्पष्ट कह दिया ।
क्या !
यशोदा तो चौंक गयीं …………..उनका शरीर जड़वत् हो गया ……..
नही आया ? मेरा लाला नही आया ?
श्रीराधा रानी नें जैसे ही सुना ………….उनकी दृष्टि के आगे अन्धेरा छानें लगा …………….क्या नही आये तुम ? ओह ! पैरों में अब शक्ति नही रही ….कि खड़ा भी हुआ जाए ………..
नही आये तुम प्यारे !
ओह !
श्रीराधा रानी मूर्छित हो गयीं ……………..।
प्यारे ! प्यारे ! श्याम सुन्दर ! तुम नही आये ?
अब ये राधा कैसे जीयेगी ?
कौन हो तुम ? कौन हो तुम ?
बैल गाडी में लेटी हुयी हैं …..शरीर में शक्ति नही है ……..
मैं श्रीदामा………..श्रीदामा भैया भी तो मथुरा गए थे …..ये भी खाली हाथ लौट आये ….नही ला पाये अपनें सखा को ………।
हँसी श्रीराधा रानी …….उनकी हँसी अब डरावनी लग रही थी ।
तुम्हारा श्राप लग गया …………श्रीदामा भैया ! तुम्हीं नें श्राप दिया था ना ….गोलोक से आकर कुञ्ज में …………कि मान करती रहती हो ….कृष्ण से रूठती रहती हो …..जाओ ! सौ वर्ष का वियोग सहो ।
भैया ! तुमनें ही श्राप दिया था ना …….अब सौ वर्ष तक श्याम सुन्दर के बिना ……ओह ! कैसे रहूँगी मैं ……? भैया ! श्रीदामा भैया ! बताओ ना ! कैसे जीऊँगी अब ?
हाँ …….मैं बहुत खराब हूँ ……….मैं ठीक नही हूँ …………..मैने सदैव उन्हें दुःख ही दिया है ……….ठीक किया वे नही आये …….क्यों आएं यहाँ ? क्या दिया है हमनें उन्हें ।
पता है श्रीदामा भैया ! मैनें उन्हें सदैव दुःख में ही रखा ……….मानिनी बनकर ही रही उनके साथ ……….वे बेचारे …….कितनी हा हा खाते थे ….मेरे पैर तक दवाते थे ……..पर मैं अभिमानी राधा …………..
हँस पडीं श्रीराधा …………….हा हा हा हा हा ………..उनकी हँसी सुनकर जोर जोर से रो पड़े थे श्रीदामा………..ललिता बिशाखा साथ में हैं …….वो भी सम्भाल रही हैं ।
वहाँ मथुरा में खुश होंगें वे ……आहा ! वहाँ की नारियाँ नागरी हैं ….नगर में रहनें वाली हैं ……….हमारी तरह गंवार तो नही है ………श्याम सुन्दर गोबर उठानें वाले हैं ? ……..ओह ! हम लोगों नें उनसे गोबर उठवाए !…………चोर कहा ……पीटा ………आये दिन बृजरानी मैया से पिटवाया ………।
भैया ! श्रीदामा भैया ! अब ठीक है……..हमारे रोनें धोनें से क्या मतलब ………..उनको तो अच्छा लग रहा है ना वहाँ ………बस ठीक है ….न गैया चरानें जाना ………न किसी गोपी की शिकायत सुनना, न मुझ जैसे अभिमानिनी के आगे पीछे करना ।
कितनें सुख से होंगें ना वे ……मथुरा की ललनाएँ उनकी खूब सेवा कर रही होंगी………ठीक है …….ठीक तो है ललिते ! वो सुखी हैं तो हमें दुःखी नही होना चाहिये ……….ये प्रेम नही होगा फिर …….ये प्रेम के नाम पर कलंक होगा …नही नही ।
श्रीराधा रानी की विचित्र अवस्था हो गयी थी ।
सब रो रहे हैं …..बैल गाडी में बैठे सब रो रहे हैं ……श्रीदामा भैया ……ललिता , बिशाखा ………..अरे ! वज्रनाभ ! यहाँ तक की …..बैल भी रो रहे थे …….श्रीराधिका जी की ये दशा देखकर …….।
बरसानें आने तक मूर्छित हो गयीं थीं श्रीराधा रानी ………….कीर्तिरानी और बृषभान जी पर क्या बीतती होगी ……………और तुम्हे पता है …….ये मूर्च्छा ……..एक महिनें तक रही श्रीराधा रानी को …………
शेष चरित्र कल …….
Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877