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September 14, 2025 3:34 am

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 58 !!- विरागिनी, पागलिनी, वियोगिनी भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 58 !!- विरागिनी, पागलिनी, वियोगिनी भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 58 !!

विरागिनी, पागलिनी, वियोगिनी
भाग 2

कि मैने उसे ऊखल से बांध दिया……..यशोदा मैया फिर रोनें लगीं …..धिक्कार है धिक्कार है मुझे…..अपनें सिर को पीटनें लगीं………

जीजी ! ऐसा मत करो……..रोहिणी नें आगे आकर सम्भाला बृजरानी को …………………

ओह ! माखन की तरह कोमल था मेरा लाला ……….और एक मटकी ?

अरे ! ऐसी मटकी हजारों न्यौछावर उसके ऊपर …………पर मैं कितनी दुष्टा हूँ ना ! मैने उस फूल को बांध दिया था ………..।

उस रात उसनें मुझ से कहा भी था ………हाथ दूख रहा है मैया !

धिक्कार है तुझे यशोदा ! बृजरानी मैया अपनें आपको धिक्कारनें लगीं थीं……..कितना कठोर हृदय है तेरा यशोदा !

पर रोहिणी जी उठीं एकाएक …………रोहिणी को उठते देख मैया यशोदा शान्त हुयीं और देखनें लगीं वो भी ………

श्रीराधा रानी भी देखनें लगीं थीं ……कोई रथ आरहा था मथुरा से ।

धूल उड़ रही थी ……उस रथ के पीछे ग्वाल बाल सब थे …….।

आगया ! मेरा लाला आगया ! मैने कहा था ना ! श्रीराधा रानी को कहनें लगीं …….मैने कहा था ना ! वो आएगा …….आगया ! मेरा कन्हाई आगया ……….दौड़ीं यशोदा बाहर की ओर ………..फिर रुक गयीं खड़ी ही हो गयीं वहीं ………..नही ……….आते ही माखन मांगेगा ………उसे माखन तो …………भीतर जानें लगीं ………….फिर एकाएक बाहर आईँ ………एक बार देख तो लूँ अपनें कन्हाई को …..फिर तो अब खिलाना ही है ……………..

अरे ! मेरा लाला ! आगया ………….सुनो ! मेरा लाला आगया !

जोर से पुकार कर बुला लिया था बृजपति नन्द जी को भी…….

बृजपति भी दौड़े आये……उन्होंने भी देखा ……कोई रथ आरहा है…….पर ये रथ ? कन्हाई है क्या इसमें ?

हाँ …हाँ ……..उसे याद आरही होगी ना ……हमारी …..है ना राधा !

यशोदा बहुत खुश हैं………रथ को देखकर उन्हें लग रहा है उनका लाला कन्हाई आगया ।

क्रमशः ….
शेष चरित्र कल

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