!! राधा बाग में – “श्रीहित चौरासी !!-( रस लीला की सृष्टि करते नैंन- “नैंननि पर वारौं” ): Niru Ashra
!! राधा बाग में – “श्रीहित चौरासी !! ( रस लीला की सृष्टि करते नैंन- “नैंननि पर वारौं” ) गतांक से आगे – “कटीले , कुटीले , रूप के लुभीले, बरछीले , तिरछीले , सरसीले , लजीले , सकुचीले । कहाँ तक दें नैंनों की उपमा …..सारे उपमा इनके आगे तुच्छ हैं । चपल नयन … Read more